मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को जमकर बहस हुई। इस बहस पर मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से यह तर्क दिया गया कि यह याचिका एक कांग्रेस नेता ने राजनीतिक फायदा पाने के लिए लगाई है। जो की कोर्ट को इसे सुनने योग्य नहीं मानना चाहिए ।
जिस पर याचिकाकर्ता रघु परमार ने अपति जताते हुए इसका विरोध किया और घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। इस पर बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। पटवारी घोटाले को लेकर लगी याचिका की पहली सुनवाई पर शासन के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक लाभ पाने के उद्देश्य से याचिका दायर की है।
इसे निरस्त किया जाए। याचिकाकर्ता के वकील ने विरोध किया और कहा याचिकाकर्ता पहले भी वे अलग-अलग मामलों में जनहित याचिका दायर कर चुके है। याचिका लगाने के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है बल्कि घोटाले की त्वरित और निष्पक्ष जांच होना चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया।हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका रघु परमार ने दायर की है।
कर्मचारी चयन मंडल द्वारा पटवारी संयुक्त भर्ती परीक्षा में एक ही काॅलेज से सात टाॅपर आए है। यह काॅलेज एक भाजपा विधायक का है। मामला गरमाने क बाद मुख्यमंत्री ने परीक्षा से होने वाली नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह बात भी शंका खड़ी करती है कि सभी टापर ने हिंदी में हस्ताक्षर किए है। उनके नंबरों की सीरिज भी समान है। उन्होंने परीक्षा पास कराने पर बड़ा लेनदेन होने की आशंका जाहिर की है।
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