इंदौर, मध्यप्रदेश :- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के जज ने गुरुवार को कलेक्टर की जमकर क्लास लगा दी। इसी के साथ जज ने दूसरे सरकारी अधिकारियों को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्हें आदालत में पेश होने के निर्देश दे दिया । यह मामला एक पीड़ित को सरकार की ओर से मिलने वाले भुगतान राशि से संबंधित था। दो साल से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी कोर्ट में कलेक्टर ने फंड नहीं होने की बात कही तो जज ने उन्हें यह कहकर चुप करा दिया कि क्या सरकार के पास आठ लाख रुपये तक नहीं हैं।
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क्या था मामला :-
यह मामला कोविड काल के दौरान का था जब पीड़ित ने सरकार की ओर से आम लोगों के लिए फूड पैकेट्स उपलब्ध कराए थे। इसके लिए सरकार ने पहले 30 रुपये प्रति पैकेट का रेट तय किया था। बाद में सरकार ने इसे घटाकर 15 रुपये प्रति पैकेट कर दिया गया। इसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने हाई कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि नई दर के हिसाब से भी उसे सरकार से आठ लाख 19 हजार रुपये मिलने चाहिए, लेकिन दो साल से ज्यादा व्यक्त बीते जाने के बाद भी पीड़ित व्यक्ति को अभी तक कोई भुगतान नहीं मिला।
जज ने कलेक्टर को लगाया फटकार
जज ने सरकारी पक्ष से इसका कारण पूछा तो कलेक्टर और उनके वकील ने फंड नहीं होने की बात कही और प्रक्रियागत कारणों का हवाला देते हुए । इस पर जज ने कलेक्टर और उनके वकील तल्ख लहजे पटकार लगते हुए कहा कि सरकार का फंड मैनेज करना कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है। फिर उन्होंने कहा कि पहले जब आपसे जवाब मांगा गया तो एक ईमेल करने में आपको दो साल लग गए। जवाब में आपने लिख दिया कि पीड़ित व्यक्ति किसी भुगतान का अधिकारी नहीं है। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।
इसके बाद जज इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति ने कोविड काल के दौरान सरकार की मदद की। यदि आपके पास पैसे नहीं हैं तो आप काम मत करवाइए। जज ने सुनवाई की अगली तारीख पर फूड एंड सिविल सप्लायज डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी और रिलीफ कमिश्नर को भी कोर्ट में हाजिर होने के निर्देश दिया है।
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