Homeमध्यप्रदेशचंबल-ग्वालियर अंचल में बीजेपी के दिग्गज वर्चस्व की जंग में व्यस्त

चंबल-ग्वालियर अंचल में बीजेपी के दिग्गज वर्चस्व की जंग में व्यस्त

  • चंबल-ग्वालियर अंचल में बीजेपी के दिग्गज वर्चस्व की जंग में व्यस्त
  • अजा वर्ग जिसके साथ जाएगा,वो ही पाएगा फतह

भोपाल। मंगलवार को भोपाल के स्टेट बीजेपी आफिस में गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में कई घंटे चली चुनावी मैराथन मीटिंग में मध्यप्रदेश के जिन कमजोर क्षेत्रों के बारे में चर्चा की गई उनमें चंबल-ग्वालियर संभाग भी शामिल रहा। इस इलाके में विशेष रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर की बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई पर विराम लगाने की समझाइश दी गई है ताकि रीजन में सभी गुटों के कार्यकर्त्ता पार्टी की जीत के लिए काम करें। इस क्षेत्र की अजा वर्ग की सात आरक्षित सीटें हैं, जिनमें जो दल जीत हासिल करता है,उसका पलड़ा भारी हो जाता है। भाजपा और कांग्रेस इस क्षेत्र में पूरी ताकत लगाकर चुनावी मोड पर हैं।

अंचल की 34 सीटों पर चल रही जोर आजमाइश

2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जोड़ -तोड़ की रणनीति अपनाकर बेशक भाजपा ने चंबल-ग्वालियर रीजन में सीटों की संख्या बढ़ा ली है और कांग्रेस की बराबरी कर ली है,मगर धरातल में उतरकर चुनावी जंग में जीत हासिल करके विजयश्री पाने का अलग महत्व होता है। बता दें कि सन् 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस अंचल से करारी शिकस्त मिली थी । 34 में से महज 7 सीटों से ही उसे संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस को 26 सीटें और 1 सीट बसपा को मिली थी। बाद में यानी 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा ने अपनी सीटों में वृद्धि करते हुए संख्या 7 से 16 कर ली थी। वहीं कांग्रेस का आंकड़ा 26 से घटकर 17 पर आ गया था। बसपा विधायक संजीव सिंह के भाजपा में शामिल होने के उपरांत भाजपा की कुल सीटें अब कांग्रेस के बराबर 17 हो गई हैं।

अजा सीटों पर सबकी नजर

चंबल-ग्वालियर संभाग में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 7 सीटें भी इस क्षेत्र में किसी भी राजनीतिक दल के लिए जीत-हार का रास्ता बनाती हैं। वर्ष 2018 की बात करें तो अंचल की अजा आरक्षित 7 सीटों में से 6 सीटें कांग्रेस-बसपा ने जीत लीं थीं। यही वजह है भाजपा अजा वर्ग पर फोकस करना चाहती है ताकि संख्या बल के गणित में उसे कामयाबी मिल जाए।

मंत्री हैं भरमार

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने से और उनके खेमे के अधिकांश मंत्री होने की वजह से कई सीनियर भाजपा नेता-विधायक केबिनेट में जगह नहीं बना पाए। इस अंचल से शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में 11 मंत्री हैं जिनमें से अधिकांश ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के हैं।

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