Homeमध्यप्रदेशनर्मदापुरम क्षेत्र में कांग्रेस-बीजेपी में जमकर होनी है टक्कर

नर्मदापुरम क्षेत्र में कांग्रेस-बीजेपी में जमकर होनी है टक्कर

  • 11 सीटों में से 7 पर बीजेपी और 4 पर है कांग्रेस का कब्जा
  • बैतूल जिले में वोटरों ने नहीं बनने दिया कभी किसी का गढ़

भोपाल। दक्षिण में महाराष्ट्र और उत्तर में भोपाल से लगा हुआ नर्मदापुरम संभाग (होशंगाबाद है पुराना नाम) कई मायनों में सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है,क्योंकि इस क्षेत्र में कांग्रेस तथा भाजपा में बराबर की टक्कर होती रही है।विशेष रूप से संभाग के बैतूल जिले में तो हमेशा रोचक मुकाबला देखने को मिलता रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस -भाजपा यहां पर फतह हासिल करने के लिए मजबूत रणनीति के साथ मैदान में उतरना चाती हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कुल 11 विधानसभा क्षेत्र में से भाजपा के पास 7 और कांग्रेस के पास 4 सीटें आईं थीं।

संभाग में कितने मंत्री व जिले हैं

नर्मदापुरम संभाग में 3 जिले ही आते हैं जिनमें नर्मदापुरम, बैतूल और हरदा शामिल हैं। नर्मदापुरम का नाम पहले होशंगाबाद था। इस क्षेत्र से आरएसएस की रिपोर्ट के बाद हरदा से विधायक कमल पटेल को ही शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। भाजपा के 7 में से 3 विधायक ऐसे हैं जिनके कार्यशैली से संघ नाखुश है।

क्या वजह है आरएसएस के दखल की

2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए और नर्मदापुरम संभाग के मौजूदा सभी विधायकों की जनता से दूरी एवं क्षेत्र में विकास कार्यों में अरुचि की खबरें आने के बाद आरएसएस को सीधे दखल देना पड़ा है। दरअसल संघ सातों विधायकों के कामकाज से संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है। संभावना जताई जा रही है कि यदि मौजूदा सभी सातों को पुनः उम्मीदवार बनाया जाता है तो भाजपा को क्षेत्र में करारी हार का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने की पूरी संभावना है।

मंत्री कमल पटेल की भी स्थिति खराब

बैतूल में पिछले चुनाव में भाजपा को 5 में से 4 सीटें गंवानी पड़ी थीं इसलिए इस बार यहां बीजेपी फूंक -फूंक कर टिकट देने का मन बनाए हुए है। यही स्थिति कमोवेश नर्मदापुरम और हरदा की भी है। हरदा की 1 और नर्मदापुरम की 5 विधानसभा सीटों में भाजपा टिकट बंटवारे के मामले में इस बार कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है। नर्मदापुरम की 5 में से 4 सीटें भाजपा के पास हैं और इन चारों विधायकों के कामकाज से न केवल संघ बल्कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी संतुष्ट नहीं हैं। यही आलम हरदा की एकमात्र सीट से विधायक व मंत्री कमल पटेल का है। जिन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव महज 7 वोटों के अंतर से जीता था।

तो क्या सभी विधायकों के टिकट कटेंगे

राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि संघ की रिपोर्ट पर भाजपा शीर्ष नेतृत्व अमल कर सकता है और सभी सातों भाजपा विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। संघ ने फीडबैक लिया है, जिसमें मौजूदा सभी बीजेपी विधायकों की जनता के बीच में अच्छी छवि नहीं है। यहां तक कि कमल पटेल का भी टिकट काटा जा सकता है।

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