Homeमध्यप्रदेशआखिर क्यों, गंगाजल में सियासत

आखिर क्यों, गंगाजल में सियासत

MP Election 2023 : गंगाजल और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच क्या तार जुड़ा है ? ये सवाल पहली नजर में बेतुका लग सकता है क्योंकि मध्य प्रदेश में गंगा नदी नहीं हैं और नर्मदा नदी को यहां की जीवनरेखा कहा जाता है। लेकिन सियासत जो न कराए कम है।

हाल ही में केंद्र सरकार ने डाकघरों से मिलने वाले गंगाजल पर अब 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान की ‘गंगा यात्रा’ की तस्वीरें सामने आई थी। इसके बाद अब कांग्रेस ने मां गंगा को लेकर सीएम शिवराज पर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ का आरोप लगाया है। इसी के साथ उन्होने कहा है कि अब भी बीजेपी में अब भी कुछ अच्छे नेता बचे हैं और उन्हें कांग्रेस द्वारा गंगाजल पर जीएसटी के विरोध का समर्थन करना चाहिए।

गंगाजल पर जीएसटी

18 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद अब 250 मिलीलीट गंगाजल की बोतल जो पहले 30 रुपये में मिलती थी, उसके लिए अब 35 रुपये चुकाने होंगे। बता दें कि गंगाजल आपके द्वार योजना 2016 में शुरू की गई थी। देश ही नहीं दुनियाभर में गंगाजल को पवित्र मानने वाले लोग हैं और इसका प्रयोग पूजा सहित कई अन्य स्थानों पर किया जाता है।

इसीलिए लोगों तक आसानी से गंगाजल पहुंच सके, इस उद्देश्य के साथ साथ डाक द्वारा इसे भेजने की सुविधा आरंभ की गई। अब इसपर सरकार ने अठारह फीसदी जीएसटी लगा दिया है जिसके बाद कांग्रेस हमलावल है।

शिवराज की गंगा यात्रा और कमलनाथ का ट्वीट

पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान हरिद्वार और ऋषिकेश गए थे जहां वे गंगा नदी के किनारे बैठे नजर आए। इसकी तस्वीरें भी साझा की गई थी। अब शिवरा की गंगा यात्रा पर कमलनाथ ने सवाल उठाए हैं और ट्वीट करते हुए कहा है कि ‘मुख्यमंत्री जी को ये ज्ञात होना चाहिए कि जिस पूजनीय गंगा माँ के किनारे शांति की तलाश में वो कैमरे की टीम के साथ गये, उस गंगा माँ के ‘गंगाजल’ पर उनके दल की भाजपा सरकार द्वारा ही जीएसटी लगाकर धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है।

मुझे आशा है कि भाजपा में भी जो कुछ अच्छे नेता और समर्थक बचे हैं, वो भी ‘गंगाजल पर जीएसटी’ लगाने के हमारे इस विरोध का समर्थन करेंगे। भाजपा ने पहले राजनीति को व्यवसाय बना दिया, अब गंगा के पवित्र जल को भी व्यापार समझकर उस पर भी टैक्स लगा रही है। ‘गंगाजल’ पर टैक्स लगाना भाजपा का आध्यात्मिक भ्रष्टाचार है।’

‘विरोध के समर्थन‘ की मांग

इस तरह कमलनाथ ने गंगाजल पर जीएसी को लेकर बीजेपी के कुछ अच्छे नेताओं और समर्थकों से ‘विरोध का समर्थन‘ करने की उम्मीद जताई है। उन्होने कहा कि बीजेपी पहले ही राजनीति को व्यवसाय बना चुकी है और अब गंगाजल का भी व्यापार कर रही है। इसे आध्यात्मिक भ्रष्टाचार बताते हुए कमलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान की गंगा-यात्रा पर सवाल उठाए हैं।

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