जबलपुर। कम बारिश से जहां किसानों के साथ-साथ आम आदमी भी परेशान है, लेकिन रेत चोरों ने इस आपदा को अवसर में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जबलपुर संभाग में कम बारिश से नर्मदा नदी का जलस्तर कम हुआ, तो रेत माफिया ने रेत उलीचना शुरू कर दिया। जबकि बारिश के दिनों में रेत उत्खनन पर प्रतिबंध रहता है। लेकिन लगता है कि रेत माफिया को शासन-प्रशासन का कोई भय नहीं है। यही वजह है कि नर्मदा नदी के कई तटों पर रेत माफिया में रेत को लूटने की होड़ सी मच गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर माइनिंग विभाग क्या कर रहा है। लगता है कि विभाग यह मानकर चल रहा है कि प्रतिबंध है, तो रेत नहीं निकाली जाएगी। या फिर जानते-बूझते रेत माफिया को खुली छूट दे दी गई है। ऐसे में पुलिस कभी-कभार कार्रवाई करती है, लेकिन लगता नहीं कि इससे रेत माफिया पर कोई असर होता हो।
बेलखेड़ा में यही हाल..पुलिस के पहुंचने से पहले ही सुन्न-सपाट
बारिश ना होने से जबलपुर जिले के बेलखेड़ा थानांतर्गत नर्मदा का बहाव कम है। इसी का फायदा उठाकर रेत माफिया सीधे नर्मदा से रेत का अवैध उत्खनन करने लगे हैं। बेलखेड़ा क्षेत्र में ऐसे कई घाट हैं, जहां रेत निकाली जा रही है और माइनिंग विभाग का अता पता नहीं है। बेलखेड़ा पुलिस को सूचना एवं कर उसका चालक ट्रैक्टर छोडक़र भाग खड़ा हुआ। पुलिस ने ट्रैक्टर को जब्त कर थाने में सुरक्षित खड़ा कर दिया। वहीं दूसरा ट्रैक्टर चरगुवा घाट से रेत भरकर आ ही रहा था कि पुलिस को देख कर चालक ट्रैक्टर छोडक़र भाग खड़ा हुआ। पुलिस ने दोनों ट्रैक्टर थाने में खड़ा करा लिया है।
खुफिया तंत्र ऐसा कि कार्रवाई से पहले ही भाग खड़े हुए
बेलखेड़ा में पुलिस सुनाचर घाट पहुंची, तब तक रेत से भरे कई ट्रैक्टर मौके से भाग चुके थे। जिन दो ट्रैक्टरों को पुलिस ने पकड़ा है, वे भी भागने की ताक में थे, लेकिन पुलिस के हत्थे चढ़ गए। हालांकि उनके ड्राइवर ट्रैक्टर छोडक़र भाग गए। ऐसे में सवाल यही है कि क्या रेत माफिया का खुफिया तंत्र या निगरानी इतनी तगड़ी है कि कार्रवाई से पहले ही उन्हें भनक लग जाती है। या यह भी हो सकता है कि जगह-जगह गुर्गे तैनात रहते हों और पुलिस के पहुंचने से पहले ही रेत माफिया को संभलने का मौका मिला जाता है।
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