Homeमध्यप्रदेशखेत में पड़ी दरारें, सूखी नहर से परेशान किसान ताक रहे आसमान

खेत में पड़ी दरारें, सूखी नहर से परेशान किसान ताक रहे आसमान

हजारों एकड़ में लगी धान की फसल सूखने का खतरा
जबलपुर। जबलपुर जिले में मानसून की बेरुखी से किसान खुले आसमान को निहार रहे हैं। बादल आते तो हैं लेकिन बरसते नहीं। वहीं सरकारी सिस्टम ने भी किसानों को परेशान कर दिया है। हाल यह है कि किसानों की हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो रही है, लेकिन किसानों की ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

प्रशासन ने फसलों को बचाने के लिए नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा बनाई गई नहरों में पानी तो छोड़ा है, लेकिन अंतिम छोर तक पानी नहीं पंहुचने के कारण खेत में लगी फसलें खराब हो रही हैं। हालात यह हो गए हैं कि बारिश के मौसम में खेतों में दरारें तक नजर आने लगी हैं, फसलें पीली होने लगी हैं। इस बार औसत से कम बारिश होना खेतों में खड़ी खरीफ की फसल के लिए मुसीबत बनी हुई है। सूखी नहरों से भी क्षेत्र के किसान को सिंचाई की कोई आस नजर नहीं आ रही है। पनागर क्षेत्र के अंतर्गत सैंकड़ों किसानों के खेत हैं। क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली एम-1, एल-2 माइनर नहर उमरिया चौबे से नुनिया खुर्द ओर जाती है, वही एल-2, एम3 नहर मुडिय़ा से डुंगरिया होते हुए सिंगोद की ओर जाती है। किसानों की मानें तो लगभग 10 वर्षों से बनी नहर में आज तक ऊंचाई तक पानी नहीं पंहुच पाया है। इसकी सूचना विभाग के आला अधिकारियों को बार-बार दिए जाने के बाद भी नहर का पानी अंतिम छोर तक नहीं पंहुचा पाता है। इस बार पंचायत ने नहर की साफ-सफाई भी कराई, लेकिन नहर में बड़े किसानों ने कई अवैध कोलावे बना लिए हैं, जिसके चलते नहरों में छोड़ा गया पानी अंतिम टेल तक नहीं पंहुच पाता है। इसकी शिकायत जब नहर विभाग के बड़े अधिकारियों से की तो अधिकारियों का कहना है कि आप लोग खुद अवैध कोलावे हटा लो, हम कुछ नहीं कर सकते हैं। अवैध कोलावे हटाने पर किसान मरने मारने को उतारू हो जाते हैं। ऐसे में हजारों एकड़ की फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं।
पनागर क्षेत्र में नहरों के जरिए अधिकतर सिंचाई होती है। वर्तमान में बड़ी नहर व माइनर में पर्याप्त पानी होने के बावजूद खेतों में सिंचाई नहीं हो पा रही। किसान अब तक फसल को बचाने के लिए आसमान ताक रहे हैं। पनागर क्षेत्र में नहर से लगे हुए हजारों एकड़ खेत नहर होने के बावजूद प्यासे हैं। ऐसे में जरूरत है कि जल्द किसानों की समस्या का समाधान हो, ताकि फसलें बर्बाद होने से बच जाएं।

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