- जबलपुर पश्चिम सीट ने ही दिए सर्वाधिक मंत्री, दिग्गजों की है नजर इसीलिए
- कांग्रेस से सीट छीनने बीजेपी को मैदान में उतारना होगा कोई अनुभवी नेता
जबलपुर। मध्यप्रदेश की जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट से हर किसी की चाहत रही है कि वह इस क्षेत्र से चुनाव लडे़। यह आकांक्षा दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों कांग्रेस और भाजपा नेताओं की रही है। वजह है इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने अधिकांश लोग मंत्री बन चुके हैं। लगभग पौने तीन लाख मतदाताओं वाले इस विधानसभा चुनाव क्षेत्र में ब्राह्मणों का भी खासा वर्चस्व रहता रहा है।स्व.कुंजीलाल दुबे से लेकर स्व.बनारसी दास भनोत,श्रीमति जयश्री बनर्जी यहां से न केवल विधायक बने अपितु उन्हें विधानसभा सभा अध्यक्ष से लेकर मंत्री तक बनने का अवसर मिला है।
आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस सीट पर अपना कब्जा जमाना चाहती है। क्योंकि इस सीट पर अभी कांग्रेस काबिज है।इस सीट से विधायक तरुण भनोत एमएलए हैं और 2020 में कमलनाथ सरकार गिरने तक वित्त मंत्री रह चुके हैं। भनोत को हराने के लिए बीजेपी लोहे से लोहे को ही काटने की युक्ति अपनाकर किसी अनुभवी व पश्चिम के मतदाताओं को गहराई से पहचानने वाले नेता की तलाश में है।
बीजेपी से हैं कई दावेदार
हालांकि इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के कब्जे को समाप्त करने के लिए आरएसएस भी पूरी ताकत लगाए हुए है और कोशिश में है कि किसी संघ से जुड़े हुए नेता को प्रत्याशी बनाकर जितवाए। लेकिन कांग्रेस के मौजूदा विधायक को पटखनी देने में फिलहाल कोई दमदार नेता नजर नहीं आ रहा है। अभी बीजेपी की ओर से संभावित दावेदारों की सूची में कई नाम सुनने को मिल रहे हैं, जिनमें अभिलाष पाण्डेय,हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू,प्रभात साहू और राममूर्ति मिश्रा, डॉ.जितेन्द्र जामदार का नाम शामिल है। मगर इसके उलट सिर्फ राममूर्ति मिश्रा को ही ऐसे दमदार प्रत्याशी के तौरपर माना जा सकता है जो तरुण मनोज के मुकाबले वजनदार सिद्ध हो सकते हैं। संभवतः इसपर संघ भी विचार कर रहा है।
राममूर्ति मिश्रा को तैयार करने की कवायद
कांग्रेस की पृष्ठभूमि से बीजेपी में आए भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य राममूर्ति मिश्रा तरुण भनोत के घुर विरोधी रहे हैं और पश्चिम विधानसभा चुनाव क्षेत्र से विधायक और मंत्री रहीं भाजपा की वरिष्ठ नेत्री श्रीमति जयश्री बनर्जी को कड़ी टक्कर दे चुके हैं। ब्राह्मण वोटरों और अन्य वर्गों में उनकी अच्छी पैठ भी है, लिहाजा भाजपा उन्हें एक अवसर दे सकती है। सूत्रों से खबर है कि भाजपा राममूर्ति मिश्रा को चुनाव लड़ने के लिए तैयार करने की कोशिश में है। दरअसल, राममूर्ति मिश्रा ने तरुण भनोत की वजह से ही कांग्रेस छोड़ी थी। यदि मिश्रा को बीजेपी का प्रत्याशी बनाया जाता है तो कांग्रेस के लिए यह चुनाव कठिन हो सकता है।
पहले कांग्रेस का गढ़ रहा है क्षेत्र
इस विधानसभा क्षेत्र का इतिहास गवाह है कि यह सीट 1989 तक कांग्रेस का गढ़ रही है। बाद के समय में आरएसएस ने यहां अपनी गहरी पैठ बनाकर बीजेपी
का गढ़ बनाया। 1998,2003 और 2008 में बीजेपी ने यहां अपना वोट शेयर बेहतर किया। मगर भाजपा के अंदर बढ़ी खेमेबाजी ने 2013 के चुनाव में यह सीट गवां दी। तबसे इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।
वरिष्ट पत्रकार राजेन्द्र तिवारी की रिपोर्ट
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