- क्या फिर चंद सीटों में सिमटेगी कांग्रेस
- फिर भी कमलनाथ लगा रहे हैं पूरा जोर
भोपाल। पिछले विधानसभा चुनाव में भोपाल रीजन में कांग्रेस को धूल चटाने वाली भाजपा इस बार पुनः इस स्थिति को दोहरा सकती है। इस बात के संकेत हाल ही में हुए कुछ चुनावी सर्वे से मिले हैं। इन सर्वे रिपोर्ट्स से कांग्रेस ने भी चुनावी रणनीति बनाकर भाजपा के भोपाल गढ़ को ढहाने की तैयारी कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरी कोशिश कर रहे हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भोपाल रीजन से उसकी स्थिति मजबूत रहे।
क्या कहती हैं सर्वे रिपोर्ट्स
अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर होने वाली है। लेकिन भोपाल रीजन की 25 विधानसभा सीटों में से 18-22 सीटें जहां भाजपा के पक्ष में जाती दिख रही हैं तो कांग्रेस को सिर्फ 3-7 सीटों पर संतोष करने की स्थिति बनती दिख रही है।
कांग्रेस के कमजोर होने की क्या है वजह
दरअसल, भोपाल रीजन में कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने के पीछे भोपाल के स्थानीय नेतृत्व का प्रभावी न होना बताया जा रहा है। कांग्रेस के स्थानीय संगठन के मजबूत न होने से कार्यकर्त्ताओं में उत्साह की कमी रहती है। किसी बड़े चेहरे का अभाव भी देखा जा रहा है जिसके कारण कांग्रेस जनमानस में अपनी मजबूत पकड़ नहीं बना पा रही है।
कितने जिले आते हैं भोपाल क्षेत्र में
मध्यप्रदेश की राजधानी होने के कारण भोपाल का अपना एक अलग महत्व है।लिहाजा दोनों प्रमुख दलों की कोशिश रहती है कि उसका वर्चस्व यहां रहे। भोपाल क्षेत्र यानि भोपाल संभाग में कुल 5 जिले हैं जिनमें भोपाल, सीहोर, रायसेन, राजगढ और विदिशा शामिल हैं। इस क्षेत्र में जो दल जितना मजबूत होगा उसका उतना ही असर होशंगाबाद अथवा नर्मदा संभाग पर पड़ता है।
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