भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इन दिनों प्रदेश के साथ ही केंद्र सरकार से भी निराश नजर आ रही हैं। पिछले दिनों शराबबंदी अभियान को लेकर उनकी चर्चा रही, लेकिन अब उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने एक के बाद एक 41 ट्वीट किए और कई खुलासे किए। साथ ही अपनी पीड़ा भी उजागर की।
ट्वीट में यह कहा
गंगा सफाई अभियान मंत्री होने के दौरान विभाग बदलने की पीड़ा को बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने गंगा की अविरलता को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की थी। यही वजह थी कि उनका विभाग बदल दिया गया था। गंगा की अविरलता पर दिया गया उनके मंत्रालय का एफिडेविड सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के विपरीत था। ऊर्जा, पर्यावरण एवं मेरे जल संसाधन मंत्रालय को मिलाकर गंगा पर प्रस्तावित पावर प्रोजेक्ट पर एफिडेविट बनाना था। तीनों मंत्रालयों की गंगा की अविरलता पर सहमति नहीं बन पा रही थी। भारत सहित विश्व के सभी पर्यावरण विशेषज्ञों की राय एवं अरबों गंगा भक्तों की आस्था दांव पर लगी थी। उन सबकी राय में हिमालय, गंगा एवं उसकी सहयोगी नदियों पर प्रस्तावित 72 पावर प्रोजेक्ट गंगा, हिमालय एवं पूरे भारत के पर्यावरण के लिए संकट का विषय थे। उमा भारती ने ट्वीट के माध्यम से बताया कि उन्होंने और गंगा निष्ठ सहयोगी अधिकारियों ने बिना किसी से परामर्श किए कोर्ट में एफिडेविड प्रस्तुत कर दिया। उस एफिडेविट पर ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र रावत की सरकार ने असहमति दर्ज की। फिर कोर्ट ने तुरंत केंद्र सरकार से परामर्श करके उस एफिडेविड को अमान्य कर दिया। उमा भारती ने कहा कि कि मैंने अनुशासनहीनता की तो मुझे तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता था लेकिन गंगा की अविरलता तो बच गई। अमित शाह भी गंगा की अविरलता के पक्ष में रहे। उन्हीं के हस्तक्षेप से मुझे निकाला नहीं गया किंतु विभाग बदल दिया गया। उमा भारती ने कहा कि उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव अमित शाह के कहने पर ही लड़ा था।
उमा भारती भारती के फिर बागी तेवर, निशाने पर सरकार
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