Homeजबलपुरउज्ज्वला योजना : आदिवासी महिलाएं-बच्चे ढो रहे लकडिय़ां, जिम्मेदार खामोश

उज्ज्वला योजना : आदिवासी महिलाएं-बच्चे ढो रहे लकडिय़ां, जिम्मेदार खामोश

जबलपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना का दूसरा चरण भी शुरू हो गया है। लेकिन इस योजना को किस तरह पलीता लगाया जाता है, इसकी बानगी जबलपुर से 40 किलोमीटर दूर बरगी विधानसभा के जनपद शहपुरा ग्राम के सहजपुर में देखने मिल रही है। हालत यह हैं कि यहां पर आज भी आदिवासी महिलाएं और उनके बच्चे अपने सिर पर जंगल से लकड़ी काट कर घर का चूल्हा जलाने को मजबूर हैं। ग्राम सहजपुर में कई आदिवासी गरीब महिलाएं हैं जिनका गरीबी रेखाकार्ड भी है लेकिन गांव के जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। जिन महिलाओं को योजना का लाभ मिला, वे पैसे की कमी के चलते गैस सिलेंडर भरवा ही नहीं पा रही हैं।
कनेक्शन लिया लेकिन पैसों की तंगी
जंगल से लकड़ी काटकर ला रहीं गरीब आदिवासी महिला गुड्डी बाई ललता बाई से जब इस बारे में बात की गई तो इन महिलाओं ने साफ कहा कि उज्जवला योजना से कुछ महिलाओं को गैस सिलेंडर तो मिला है, लेकिन सिलेंडर को भरवाने के लिए उनके पास पैसे ही नहीं हैं और न ही उनके खाते में पैसे आ रहे हैं। इस बात की शिकायत गरीब आदिवासी महिलाओं ने कई बार गांव के जिम्मेदारों से की, लेकिन किसी ने भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। इस वजह से कई घरों के चूल्हे उज्जवला योजना से नहीं जल पा रहे हैं। हमारी टीम ने जब ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों से संपर्क किया तो वे कैमरे के सामने नहीं आए। हां, फोन पर यह जरूर कहा कि ये मामला सरकारी है, इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं और न ही हम कुछ कह सकते हैं। जाहिर सी बात है कि ऐसे में योजना का सही लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि जरूरतमंद महिलाओं को योजना का लाभ मिले और इन महिलाओं को सब्सिडी की राशि मिले।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments