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बलिदान दिवस का भव्य आयोजन करने पर अमित शाह ने की राकेश सिंह की सराहना

जबलपुर। 18 सितंबर को राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस मनाया गया। इससे पहले भी यह आयोजन होता रहा, लेकिन जिस तरह इस बार भव्य तरीके से आयोजन हुआ। जन-जन तक इन अमर शहीदों के बलिदान की गाथा पहुंचाई गई, वह वाकई में सराहना करने लायक है। खास बात तो यह रही कि इस आयोजन में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय गृह मंत्री अमित सिंह भी आए। उन्होंने इस आयोजन की मंच से सराहना करते हुए कह दिया कि वे सांसद राकेश सिंह के आमंत्रण पर जबलपुर आए हैं। इससे यह साबित हो चुका है कि सांसद राकेश सिंह ने कार्यक्रम का न सिर्फ बेहतर प्रबंधन किया बल्कि अमर बलिदानियों के 1857 में दिए गए योगदान को जन-जन तक पहुंचाने का काम भी किया। आयोजन के पूर्व अमर बलिदानियों की याद में रैली निकाली गई, जिसमें सजीव झांकियों के माध्यम से बताया गया कि किस तरह अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार किया और फिर तोप के मुंह से बांध दिया। इतने के बाद भी इन शहीदों ने हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया। केंद्रीय गृह मंत्री ने न सिर्फ क्रांति के जननायकों को याद किया, बल्कि जनजातीय के हित में कई फैसले भी लिए। इस आयोजन में शामिल हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी आदिवासियों के हित में कई घोषणाएं कीं।
कांग्रेस हमले करती रह गई, भाजपा ने पलटी बाजी
हाल ही में प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जिनसे कांग्रेस को हमले करने का मौका मिला। कांग्रेस ने यह जताने का प्रयास किया कि भाजपा आदिवासी विरोधी है। विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश न देने पर कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया। लेकिन भाजपा की प्रदेश सरकार ने बलिदान दिवस से लेकर गौरव दिवस तक एक महीने तक आयोजन करने का ऐलान कर कांग्रेस के हमले की धार कुंद कर दी। राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस से लेकर आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में गौरव दिवस मनाने का ऐलान कर भाजपा ने यह जता दिया कि वही आदिवासियों की सच्ची हितैषी है।
आयोजन का होगा प्रदेशव्यापी असर
जनजातीय वर्ग की प्रदेश में बड़ी आबादी है। ऐसे में कांग्रेस हो या भाजपा, सभी इन्हें अपने पाले में करने का प्रयास करती हैं। ऐसे में बलिदान दिवस पर हुए आयोजन का व्यापक असर देखने को मिल सकता है। महाकौशल-विंध्य के साथ ही पूरे प्रदेश में इस आयोजन से सकारात्मक संदेश गया। रही-सही कसर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई योजनाओं का ऐलान कर पूरी कर दी। उन्होंने यह भी कह दिया कि सरकार के खजाने पर पहला हक जनजातियों का है। यानि कि आने वाले समय में सरकार इस वर्ग के उत्थान के लिए कोई कसर नहीं छोडऩे वाली।
कार्यकर्ता भी रहे उत्साहित
इस आयोजन से सांसद राकेश सिंह की सर्वमान्य नेता की छवि भी उभरी। चौथी बार संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे राकेश सिंह ने फिर अपनी क्षमता साबित कर दी। इस आयोजन से भाजपा के कार्यकर्ता भी बेहद उत्साहित रहे। अमित शाह के संबोधन से उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ, जो आनेवाले चुनावों में भाजपा के लिए लाभदायक साबित होगा। अभी तक कुछ नेता उपेक्षित महसूस करते थे, लेकिन इस आयोजन में वे भी बढ़-चढक़र हिस्सा लेते दिखे। यानि कि इस आयोजन से पूरी भाजपा एकसूत्र में बंधी नजर आई।
सिर्फ आरोपों तक सिमटी कांग्रेस
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बलिदान दिवस के आयोजन में शामिल हुए, लेकिन वे भी राजनीति करते ही नजर आए। पन्ना के पीडि़तों को गृहमंत्री से मिलाने के लिए उन्होंने समय मांगा, लेकिन समय नहीं मिला तो उन्होंने उपेक्षा का आरोप लगा दिया। वैसे भी दिग्विजय सिंह राज्यसभा के सांसद हैं। ऐसे में वह यह मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष उठा सकते थे या फिर राज्यसभा के आगामी सत्र में इसे सदन के पटल में रख सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा न कर सीधे केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात का समय मांगा। ऐसे में इसे राजनीति ही कहा जा सकता है।

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