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राजा शंकरशाह कुंवर रघु नाथशाह का बलिदान दिवस बड़े हर्षोंउल्लास के साथ निवास मंडला तिराहे के पास मनाया गया

सर्व समाज ने प्रतापी महाराजा राजा शंकरशाह कुंवर रघु नाथशाह की शहादत को याद कर धूमधाम से मनाया बलिदान दिवस…

 

निवास।रिपोर्टर आलेख तिवारी।गोंडवाना वंशज साम्राज्य के प्रतापी महाराजा वीर योद्धा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के निवास में कार्यक्रम आयोजित किया गया,कार्यक्रम की शुरुआत की गई जिसमें प्रतापी महाराजा शंकर शाह रघुनाथ शाह के 164 वे बलिदान दिवस को याद कर विस्तृत जानकारी से युवा पीढ़ी को अवगत कराया गया। निवास क्षेत्र के सर्व समाज ने 1857 के आदिवासी शहीद गोंड राजा शंकर शाह तथा कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस निवास मंडला तिराहे के पास बड़े धूमधाम के साथ मनाया

राजा शंकरशाह कुंवर रघु नाथशाह का बलिदान दिवस बड़े हर्षोंउल्लास के साथ निवास मंडला तिराहे के पास मनाया गया

वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, चैन सिंह वरकड़े और उदय चौधरी ने कहा कि 18 सितंबर 1857 को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंकने के कारण गोंड राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह पिता-पुत्र दोनों को अंग्रेजों ने जिंदा तोप के मुंह में बांधकर उड़ा दिया था। यह स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में तोप से जिंदा उड़ाए जाने की एकमात्र घटना है। और उन्होंने ने कहा कि भारत के आदिवासियों की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका अहम रही है। आदिवासी हंसते-हंसते देश की आजादी के लिए प्राणों की आहुति दे गए।

राजा शंकरशाह कुंवर रघु नाथशाह का बलिदान दिवस बड़े हर्षोंउल्लास के साथ निवास मंडला तिराहे के पास मनाया गया

कहा जाता है कि राजा शंकर शाह, पुत्र रघुनाथ शाह अच्छे कवि माने जाते थे, वे कविताओं के माध्यम से अपनी प्रजा में देशभक्ति का जज्बा जगाया हुआ था। राजा शंकर शाह का राज्य गोंडवाना (वर्तमान जबलपुर) से लेकर मंडला समेत आसपास के जिलों तक फैला था। सन् 1857 में जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजिमेंट का कमाण्डर क्लार्क बहुत ही क्रूर माना जाता था। वह छोटे राजाओं, जमीदारों एवं जनता को बहुत परेशान करता था। यह देखकर गोंडवाना (वर्तमान जबलपुर) के राजा शंकरशाह ने उसके अत्याचारों का विरोध करने का निर्णय लिया।

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