Homeमध्यप्रदेशएमपी के ब्राह्मणों का जो जीतेगा दिल, वो ही बनेगा सत्ताधारी दल

एमपी के ब्राह्मणों का जो जीतेगा दिल, वो ही बनेगा सत्ताधारी दल

  • प्रदेश में एक करोड़ से अधिक है ब्राह्मण आबादी
  • उपेक्षा की वजह से हो रहे अब लामबंद

भोपाल। एक मोटे अनुमान के मुताबिक मध्यप्रदेश की लगभग 7.26 करोड़ की आबादी में से 1.10 करोड़ ब्राह्मण आबादी है। ब्राह्मणों की इतनी आबादी में से लगभग 1 करोड़ ब्राह्मण मतदाता हैं। यह निर्णायक मतदाता संख्या है,जो जिस दल के पक्ष में वोट करेगा उसी की सरकार प्रदेश में बन सकती है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो मध्यप्रदेश का ब्राह्मण वोटर अभी तक बहुतायत में भाजपा को ही वोट करता रहा है। मगर 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ ऐसी राजनैतिक परिस्थितियां बनीं कि ब्राह्मण वोटर भाजपा से दूरी बनाते हुए दिख रहा है। एससी/एसटी कानून और पिछड़ों को शिवराज सरकार द्वारा 14 से 27% आरक्षण दिए जाने की कोशिशों से ब्राह्मण वर्ग अपने आपको अलग-थलग महसूस कर रहा है। यही वजह है कि ब्राह्मण वोटर भाजपा के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

विंध्य-महाकोशल में है काफी तादाद

मध्यप्रदेश के विंध्य और महाकोशल क्षेत्रों में ब्राह्मण वोटर किसी भी राजनीतिक दल की जीत-हार के लिए खास अहमियत रखते हैं। विशेष रूप से विंध्य क्षेत्र में ब्राह्मण बहुतायत में हैं। इन दोनों ही इलाकों में विधानसभा की 68 सीटें हैं।

लंबे समय तक ब्राह्मणों का वर्चस्व रहा

आजादी के बाद अस्तित्व में आए सीपी एंड बरार यानी मध्य प्रांत एवं विदर्भ राज्य से लेकर मध्यप्रदेश तक के सफर का आकलन करें तो ब्राह्मण ही राजनैतिक परिदृश्य में छाए रहे हैं। पं.रविशंकर शुक्ल,द्वारिका प्रसाद मिश्र,श्यामाचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा,कैलाश जोशी जैसे ब्राह्मण नेता मुख्यमंत्री रहे हैं। यही स्थिति कमोवेश राष्ट्रीय स्तर पर भी रही है।

ब्राह्मण विकास पर नहीं हुआ काम

मप्र का ब्राह्मण वोटर इसलिए भी नाराज बताया जा रहा है कि समाज के हित अथवा उसके विकास को लेकर कोई भी सरकार चिंतित नहीं रहीं है। भाजपा को वोट देकर यह समाज उम्मीद लगाए था कि ब्राह्मणों को हर क्षेत्र में मौका दिया जाएगा। मगर सर्वाधिक उपेक्षा भाजपा के शासनकाल में ही की गई।

क्या चाहता है ब्राह्मण समाज

दरअसल,ब्राह्मण समाज चाहता है कि दक्षिण भारत के कई राज्यों की ब्राह्मण कल्याणकारी योजनाओं की तरह ब्राह्मणों के लिए भी विकास परक योजनाएं बनें ताकि ब्राह्मणों के घावों पर मरहम लगाया जा सके। ब्राह्मण विकास के लिए पृथक से ब्राह्मण कल्याण आयोग या संस्था बनाई जाए जिसके माध्यम से ब्राह्मण समाज के लिए योजनाएं बनाई जा सकें। शिवराज सरकार ने इस संबंध में जो घोषणाएं की हैं उनपर अमल न होने से भी ब्राह्मण वोटर शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। नतीजतन, भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस बात पर गौर कर रहा है।

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