Homeमध्यप्रदेशबीजेपी नहीं संभली तो खो सकती है जबलपुर की सभी सीटें

बीजेपी नहीं संभली तो खो सकती है जबलपुर की सभी सीटें

  • बीजेपी नहीं संभली तो खो सकती है जबलपुर की सभी सीटें
  • पुराने चेहरों को बदलकर ही कांग्रेस को दी जा सकती है टक्कर

जबलपुर। जिले की 4 शहरी और 4 ग्रामीण विधानसभा सीटें आने वाले समय में कौन सी पार्टी जीतेगी, इसे लेकर अभी से कयास लगाना शुरु हो गए हैं। चर्चा तो यह भी है कि भाजपा ने अपने मौजूदा चारों विधायकों को नहीं बदला अथवा नए चेहरों को टिकट नहीं दिया तो उसका इस बार के विधानसभा चुनाव में सफाया हो सकता है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी जबलपुर शहर व ग्रामीण की हारी हुई सीटों पर भी मंथन कर रहा है। बताया जा रहा है कि पार्टी एकदम नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है। विवादों में रहे अथवा पार्टी संगठन के खिलाफ बोलने वाले नेताओं को भी टिकट से वंचित किया जा सकता है।

कितनी सीटें किसके पास हैं अभी

जबलपुर जिले में फिलहाल कांग्रेस और भाजपा के पास बराबर-बराबर सीटें हैं। ग्रामीण में पाटन,बरगी,सिहोरा व पनागर तथा शहर में जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम, जबलपुर पूर्व और जबलपुर केंट सीटें आती हैं।
इनमें से ग्रामीण क्षेत्र की 4 सीटों में से 1 बरगी सीट कांग्रेस के पास है। जबलपुर शहर की 4 सीटों में से 3 सीटें कांग्रेस के पास हैं। शहर की सीटें जीतने के लिए भाजपा जहां गंभीर दिखाई दे रही है वहीं कांग्रेस पार्टी किसी भी कीमत में अपनी मौजूदा सीटें बचाने के साथ ही और भी सीटें जीतना चाहती है।

कांग्रेस महापौर का चुनाव जीत चुकी है

एक साल पहले यानी 2022 के नगर निगम चुनाव के बाद से शहर में कांग्रेस की मजबूत मौजूदगी को भाजपा खारिज नहीं कर सकती है। इसके लिए वह नगर निगम में पार्षदों की संख्या सर्वाधिक होने का दावा क्यों न कर ले,मगर मेयर का चुनाव नहीं जीत पाने से भाजपा बैकफुट पर है। शहर के जाने-माने हड्डी के डाक्टर जितेंद्र जामदार को बीजेपी ने मेयर का केंडिडेट बनाया था , जिन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। जामदार को विधानसभा चुनाव में किसी भी सीट से टिकट मिलने की संभावनाएं भी खत्म हो गई हैं। मेयर के चुनाव में भाजपा को सभी चारों विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा था। एक तरह से मेयर चुनाव में हार को सीएम शिवराज सिंह चौहान की निजी हार माना गया था। क्योंकि उन्हीं की च्वाइश पर जामदार प्रत्याशी बनाए गए थे।

इन चेहरों को बदल सकती है बीजेपी

बीजेपी के अंदरखाने से खबर मिल रही है कि संभावित हार और फीडबैक के मद्देनजर जबलपुर जिले की पाटन,सिहोरा, पनागर तथा जबलपुर केंट सीटों के मौजूदा विधायकों को बदला जा सकता है। इनमें से सर्वाधिक मुखर विधायक पाटन के अजय विश्नोई को संगठन में एडजस्ट करके उनका मुंह बंद किया जा सकता है।

आरएसएस ने भी बताई जमीनी हकीकत

सूत्रों का कहना है जबलपुर जैसे भाजपा के पुराने गढ़ और आरएसएस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण महाकोशल प्रांत के लिए खास जिले जबलपुर में पार्टी की हार गंभीरतम है। नतीजतन संघ के निर्देश पर भाजपा से कहा गया है कि वह ऐसे लोगों को मैदान में उतारे जिनपर किसी भी प्रकार के आरोप -प्रत्यारोप न हों।

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