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सही साबित हुई ‘HIT VOICE’ की खबर, रैगांव में दमोह की तर्ज पर हो गया उलटफेर..?

जबलपुर। प्रदेश में एक लोकसभा सीट के साथ 3 विधानसभा जोबट, पृथ्वीपुर और सतना जिले के रैगांव में विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आ गए। इन नतीजों से भाजपा उत्साहित है, तो कांग्रेस को सिर्फ रैगांव से सांत्वना जीत ही मिली है। नतीजों के बाद भाजपा ने जहां धनतेरस को ही दीवाली मना ली, जमकर आतिशबाजी हुई। वहीं प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इसे सुशासन और केंद्र की मोदी सरकार की जीत बताया। लेकिन जैसा कि हिट वॉइस ने खबर दी थी कि रैगांव में दमोह की तर्ज पर उलटफेर हो सकता है, ठीक वैसा ही हुआ और पूरी ताकत लगाने के बाद भी भाजपा यहां से जीत दर्ज नहीं कर पाई। कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा ने तीन दशक बाद यहां से कांग्रेस को जीत दिलवा दी।
भाजपा ने झोंक दी थी पूरी ताकत
लगता है रैगांव में भाजपा के संगठन को पहले से ही खतरा महसूस हो रहा था। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां दो से तीन जनदर्शन यात्रा में पहुंचे। उन्होंने यहां पांच से छह सभाएं कीं। यही नहीं चुनाव प्रचार के खत्म होने पर वे यहां रात भी रूके और आदिवासी महिला के घर बिर्रा की रोटी का स्वाद भी चखा। लेकिन इसके बाद भी भाजपा यहां जीत का स्वाद नहीं चख पाई और कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगा ली। यह सब तब हुआ, जब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ यहां पर एक या दो बार ही चुनाव प्रचार करने आए। यानि कि दमोह की तर्ज पर रैगांव में भी स्थानीय प्रत्याशी और जिला कांग्रेस के नेेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली।
यह भी था बड़ा फैक्टर
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि रैगांव में भाजपा नहीं हारी और न ही कांग्रेस जीती, बल्कि यहां बसपा ने बड़ा उलटफेर किया है। पिछले चुनाव में यहां बसपा प्रत्याशी ने करीब 16 हजार वोट हासिल किए थे। इस लिहाज से उपचुनाव में ये वोट कांग्रेस को गए होंगे। यही वजह रही कि कांग्रेस यहां आसानी से जीत गई। इसके पीछे बड़ी वजह यह भी है कि 2013 में यहां से बसपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। इस लिहाज से बसपा ने यहां कांग्रेस को वॉक ओवर दिला दिया।
रैगांव ने बचाई कांग्रेस की इज्जत
एक लोकसभा और दो विधानसभा में भाजपा आसानी से जीत गई, लेकिन सिर्फ रैगांव में ही हार मिली। कुल मिलाकर रैगांव ने कांग्रेस की इज्जत बचा ली। वरना सत्ता में वापसी का दंभ भरने वाली कांग्रेस की किरकिरी होना तय थी। बहरहाल कांग्रेस के खेमे में गहरी खामोशी है और कोई भी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में यह जरूर है कि कांग्रेस अब 2023 में जीत का दंभ नहीं भर पाएगी। बहरहाल कांग्रेस के पास यह तर्क तो है कि भाजपा ने धनबल, सत्ता के दम पर जीत दर्ज की है। ऐसे में देखना होगा कि 2023 में क्या स्थिति रहती है।

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