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गोवंश कभी भी अनुपयोगी और अनार्थिक नहीं होता, घरों में गोपालन व गोसेवा का संकल्प जगाना होगा-महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि

जबलपुर। मध्यप्रदेश गोपालन एवं पशुधन संवद्र्धन बोर्ड की कार्यपरिषद् के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि हाल ही में आचार्य श्री विद्यासागर सेवा आश्रम, गोसलपुर पहुंचे। उन्होंने यहां संचालित गोशाला में गोमाता का पूजन कर परिसर में पीपल वृक्ष का पौधारोपण किया। इस अवसर पर जैन समाज बंधुओं द्वारा आयोजित गोसंगोष्ठी में महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि गोवंश कभी भी अनुपयोगी और अनार्थिक नहीं होता। इस मान्यता और इसी पारम्परिक विश्वास के आधार पर हमें अपने घरों में गोपालन व गोसेवा का संकल्प जगाना होगा। विश्वविद्यालयों में कामधेनु पीठ की भी स्थापना का उपक्रम आरंभ उन्होंने यह भी कहा कि गोवंश के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए मध्यप्रदेश सर्वाधिक अनुकूल राज्य है। यहाँ का 95 हजार वर्ग किलोमीटर का जंगल गोवंश का आश्रय स्थल है। गोवंश के लिये कार्य करने की अनेक संभावनायें यहां न केवल मौजूद हैं बल्कि वे संभावनायें आकार ग्रहण करने के लिए मचल भी रही हैं। गोसंवद्र्धन बोर्ड के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि हमारा मध्यप्रदेश अब सर्वाधिक गोवंश और सर्वाधिक गोशालाओं वाला प्रदेश के रूप में देश में चर्चित हो रहा है। प्रदेश के एक मात्र पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में साइंटिफिक प्रोसेस और वैज्ञानिक अनुसंधान विधि से युगानुकूल नवाचार विकसित कर बड़ी तीव्र गति से कार्य हो रहे हैं। प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में कामधेनु पीठ की भी स्थापना का उपक्रम आरंभ हो गया है। गोसेवा की गंगोत्री प्रवाहित करने पर कृतज्ञता प्रकट की महामण्डलेश्वर जी ने जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर जी का स्मरण करते हुये उनके द्वारा दयोदय प्रकल्पों के माध्यम से गोसेवा की जो गंगोत्री प्रवाहित और प्रेरित की गई है, उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट की। गोसंवद्र्धन बोर्ड की कार्य परिषद् के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि-हमारे द्वारा संचालित गो सेवा केंद्रों एवं गोशालाओं में गोसेवा हेतु सप्त आयामों को व्यवस्थित नहीं किया जायेगा तब तक हमारी गोशालायें कुप्रबंधन की शिकार होती रहेंगी। हमें गोशालाओं के लिये भूमि, गो -आवासीय परिसर, पानी, प्रकाश चरनोई ये सब प्राथमिक आवश्यकता के साथ वित्तीय संसाधन और प्रबंधन तंत्र जरूरी है। समितियों के प्रत्येक सदस्य को एक-एक आयाम का दायित्व लेना होगा और जिम्मेदारी के साथ उनका निर्वहन भी करना होगा। तभी गोशालायें आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी होंगी। गोसंवद्र्धन बोर्ड के अध्यक्ष को गोशाला समिति के सदस्यों ने गोशाला विस्तार में आ रही समस्याओं के निराकरण के लिए एक ज्ञापन भी दिया। अध्यक्ष ने समुचित निराकरण के लिए डिप्टी डायरेक्टर को दिशा निर्देश दिए।

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