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कलेक्टर ने कहा-नेतागिरी करने आते हो या पढऩे, ताबड़तोड़ सवालों से बैकफुट पर आए छात्र

ग्वालियर। शहर के जीवाजी विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर कक्षाओं के थर्ड और फस्र्ट सेमेस्टर की 28 और 29 जनवरी से शुरू हो रही ऑफलाइन परीक्षा को लेकर एनएसयूआई ने जोरदार प्रदर्शन किया। हंगामा बढ़ता देख कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम भी पुलिस के साथ विश्वविद्यालय आ गए। यहां पढ़ाई को लेकर कलेक्टर एवं एनएसयूआई के छात्र नेताओं से गर्मागर्म बहस हो गई। कलेक्टर ने कहा कि कुछ छात्र पढ़ाई नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह नेतागिरी करने यहां आते हैं। जब छात्र नेता एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष शिवराज यादव ने कलेक्टर पर दबाव में लेने का आरोप लगाया तो उन्होंने पुलिस की मदद से उसे विश्वविद्यालय थाने पहुंचा दिया।
पीजी के छात्रों का कहना है कि पूर्व में विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का आदेश जारी किया था मगर अब ऑफलाइन परीक्षा का सर्कुलर जारी कर दिया गया है। जबकि उनका सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है और 2 दिन बाद वह परीक्षा देने की स्थिति में भी नहीं है। इसलिए परीक्षा को एक महीने के लिए बढ़ा दिया जाए। मौके पर कुलपति अविनाश तिवारी और कुलसचिव डॉ सुशील मंडेरिया भी पहुंचे। उन्होंने छात्रों को समझाने की कोशिश की। लेकिन छात्र हंगामा करते रहे। बाद में विश्वविद्यालय पुलिस भी वहां पहुंच गई। सीएसपी ने 5 छात्रों को बातचीत के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलवाया लेकिन किसी छात्रा के साथ छेडख़ानी की बात को लेकर विवाद फिर शुरू हो गया और बातचीत बीच में ही खत्म हो गई। एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष शिवराज यादव के नेतृत्व में छात्रों ने प्रशासनिक भवन के बाहर एकत्रित होकर नारेबाजी करने लगे। वहीं कुछ छात्रों ने सचिवालय में धरना भी दिया। इस बीच कलेक्टर वहां पहुंच गए। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष से कलेक्टर की गरमा गरम बहस हो गई और कलेक्टर ने अध्यक्ष को पुलिस से थाने भिजवा दिया। हंगामा शांत नहीं होते देख कलेक्टर ने कुलपति से बातचीत की और 7 फरवरी से परीक्षाएं कराने का आश्वासन देकर वह वहां से चले गए।

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