Homeमध्यप्रदेशबीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व को सौ सीटों पर अपनों से सेबोटाज का खतरा!

बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व को सौ सीटों पर अपनों से सेबोटाज का खतरा!

 इतनी सीटें हारे तो खेल बिगड़ जाएगा, इसलिए तोमर को नाराजों को मनाने का जिम्मा दिया गया

भोपाल। लगता है भाजपा को कांग्रेस का रोग लग गया है। क्योंकि लंबे समय तक देश व राज्यों में सरकार चला चुकी कांग्रेस के नेताओं में हमेशा सत्ता की लालसा रही है। यदि सत्तासुख नहीं मिला तो पार्टी का ही अहित करने से पीछे नहीं रहते थे। कमोवेश कुछ ऐसा ही अब सत्ता का सुख भोग चुके अथवा सुख भोगने की लालसा रखने वाले भाजपा नेताओं/कार्यकर्ताओं के साथ हो रहा है। यह वही भाजपा अथवा उससे पहले की जनसंघ पार्टी थी,जिसके अंदर क्या चल रहा है, इसका पता आसानी से नहीं चल पाता था।

आरएसएस के संस्कारों से पोषित भारतीय जनता पार्टी में सत्ता की चाह और वंचित होने पर बगावत करने का ‘रोग’ पार्टी को आगे चलकर भयंकर नुकसान पहुंचा सकता है। मध्यप्रदेश में भी भाजपा इस रोग से अछूती नहीं रह सकी है। लोगों को आश्चर्य होता है जिस भाजपा या उसकी पूर्ववर्ती पार्टी भारतीय जनसंघ को अनुशासन के नाम से जाना जाता था , उसके वो नेता/कार्यकर्त्ता इस समय नाराजों की श्रेणी में आ चुके हैं जो न केवल अपना पूरा जीवन ही पार्टी के लिए लगा चुके हैं बल्कि लाभ न मिलने पर भी कभी उफ़ तक नहीं किया। वे ही संगठन के विरोध में मीडिया और सोशल मीडिया के समक्ष खुलकर आने से बाज नहीं आए। जिनसे पार्टी कल्पना नहीं कर सकती थी कि ये लोग ऐसा करेंगे। मध्यप्रदेश में चुनाव के समय पार्टी का पूरा ध्यान इस समय नाराज लोगों को मनाने में लगा हुआ है,ताकि संभावित नुकसान से बचा जा सके।

सोमवार तक 50 रूठों से मिल चुके हैं नरेंद्रसिंह तोमर

खबर मिली है कि केन्द्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश भाजपा के चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर आलाकमान के निर्देश पर लगभग पचास नाराज नेताओं से मिल चुके हैं। जबकि पार्टी के अंदरखाने की खबर है ऐसी 100 विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा के सांसदों, विधायकों, पूर्व मंत्रियों से लेकर जिलाध्यक्ष और अन्य स्तर के नाराज कार्यकर्ताओं की लंबी फेहरिस्त है। आलाकमान ने निर्देश दिए हैं कि पुराने नेताओं/कार्यकर्त्ताओं को पार्टी के होने वाले कार्यक्रमों में मंच पर बैठाकर सम्मान दिया जाए और उन्हें चुनाव में यथोचित जिम्मेदारी दी जाए।

मंत्री नहीं बनाने,टिकट न देने से नाराज वाले बेशुमार

सूत्रों से खबर मिली है कि नरेंद्र सिंह तोमर ऐसे भी कई नाराज नेताओं से मिल रहे हैं जो वरिष्ठ विधायक भी हैं लेकिन मंत्रीमंडल में जगह न मिलने से खफा हैं और सोशल मीडिया में कई बार विरोध स्वरूप इसका इजहार भी कर चुके हैं। एक पूर्व मंत्री ऐसे भी हैं जिन्हें इस बात की नाराज़गी है कि उनके बेटे को टिकट क्यों नहीं दिया गया था। जब पार्टी हारी तो इसका ठीकरा उनके पुत्र पर फोड़कर पार्टी से ही बाहर कर दिया गया।

महाकोशल,विंध्य,मध्यभारत और बुंदेलखंड के नाराजों से मिले तोमर

इस बीच खबर निकलकर आ रही है कि नरेंद्र सिंह तोमर पिछले तीन दिनों की मैराथन मीटिंग में महाकोशल,विंध्य, बुंदेलखंड और मध्यभारत क्षेत्र के नेताओं से मिलकर वन-टू-वन मुलाकात की। है।

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