जबलपुर। शाहरूख खान.. एक ऐसा नाम जो परिचय का मोहताज नहीं। 80 के दशक में शाहरूख खान ने दिल्ली से मुंबई की ओर रूख किया। मन में सपना था कि बॉलीवुड में उसका नाम बुलंदियों पर हो। शुरू में एक सीरियल मिला सर्कस.. जिसने उन्हें छोटे परदे के माध्यम से घर-घर पहचान दिलाई। १९८० के दशक में उन्होंने कई सीरियलों में काम किया। लेकिन इसी बीच उन्हें ब्रेक मिला फिल्म दीवाना में। फिर क्या था धड़ाधड़ फिल्में मिलने लगीं और बाजीगर, डर और अंजाम में निगेटिव रोल भी किया और फिर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, कुछ-कुछ होता है, मोहब्बतें और न जाने कितनी फिल्मों में चाकलेटी हीरो बनकर उभरे। इस बीच शाहरूख ने इतनी दौलत कमा ली कि वे कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक भी बन गए और न जाने कितने कंपनियां बना लीं। भले ही फिलहाल उनकी फिल्में नहीं चल रही हों, लेकिन अभी भी उनका स्टारडम और कमाई बरकरार है। उनके बेटे आर्यन खान और सुहाना और अबराम भी हैं। लेकिन कड़ा संघर्ष करने वाले शाहरूख, अपनी कड़ी मेहनत से बुलंदियों को छूने वाला यह अभिनेता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं दे पाया। नतीजा यह है कि उनका बड़ा बेटा ड्रग्स लेते पकड़ा जाता है। यह वाकई शाहरूख के लिए बदनामी है, लेकिन क्या वे ऐसे पिता साबित होंगे जिसे आज भी बेटे के ड्रग्स लेने पर गर्व हो?
क्या अनुभव देने के चक्कर में बिगाड़ा
मीडिया को 1997 में शाहरूख खान ने एक बयान दिया था। उस समय उन्हें पता नहीं रहा होगा कि यह वाकई में सच साबित हो जाएगा। शाहरूख ने कहा कि मैं अपनी युवा अवस्था में बहुत सारे काम नहीं कर पाया। ऐसे में मेरे बेटे को वे सभी बुरे काम करना चाहिए। मसलन शराब पीना चाहिए, ड्रग्स लेना चाहिए और लड़कियों को डेट पर ले जाना चाहिए। ड्रग्स का मजा लेना चाहिए।
क्या नहीं पता ड्रग्स होता है जानलेवा
क्या शाहरूख खान ऐसे पिता बन गए हैं जो अपने बच्चों को गलत सलाह देकर बर्बाद कर रहे हैं। यह सवाल इसलिए कि सभी को पता है कि ड्रग्स जानलेवा होता है। जो इसकी गिरफ्त में एक बार आ जाए, वो बर्बाद हो जाता है। संजय दत्त इसका उदाहरण हैं। वे बड़े मुश्किल से ड्रग्स से छुटकारा पा सके हैं। ऐसे में ड्रग्स की सलाह देना और वह भी अपने बच्चों को, वाकई हैरान करने वाला है।