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उपचुनाव के पहले कांग्रेस को लगा दूसरा झटका.. बिखरी कांग्रेस और एकजुट भाजपा में होगा मुकाबला..!

भोपाल। उपचुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस को झटके पर झटके मिल रहे हैं। पहला झटका अलीराजपुर से कांग्रेस की नेता रहीं सुलोचना रावत व उनके पुत्र विशाल रावत ने दिया। उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की मौजूदगी में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। दूसरे दिन भी भाजपा प्रदेश कार्यालय में हुई प्रेस कांफ्रेंस में सीएम और प्रदेशाध्यक्ष की मौजूदगी में दोनों नेताओं को स्वागत किया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन दोनों नेताओं की क्या अहमियत है। कांग्रेस इस झटके से उबर पाती कि दूसरा झटका उसे अरूण यादव के रूप में लगा। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहे अरूण यादव ने भले ही पार्टी न छोड़ी हो, लेकिन उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वे खंडवा से लोकसभा का उपचुनाव नहीं लड़ेंगे। भले ही उन्होंने इसके लिए अपने व्यक्तिगत कारण गिनाए हैं, लेकिन अंदरखाने यह चर्चा भी है कि उन्होंने यह निर्णय पार्टी में चल रही गुटबाजी और खींचतान के कारण लिया है। बहरहाल खंडवा लोकसभा सीट के लिए उनसे ज्यादा काबिल उम्मीदवार ढूंढना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।
पहले हां, फिर कही ना
अरूण यादव इससे पहले उपचुनाव की तैयारियों में जुटे हुए थे। क्षेत्र के दौरे कर कार्यकर्ताओं से मेलमिलाप का दौर जारी था। भोपाल आकर वे प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से भी मिल चुके थे। यह तय माना जा रहा था कि अरूण यादव खंडवा से कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। उनकी दावेदारी इसलिए भी मजबूत थी कि वे दो बार सांसद व केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। उनसे ज्यादा कद्दावर नेता इस सीट के लिए कांग्रेस के पास कोई नहीं था। ऐसे में उन्होंने अचानक चुनाव न लडऩे का निर्णयलेकर सभी को चौंका दिया। बताया यह जा रहा है कि अरूण यादव कांग्रेस के नेताओं की ही आपसी खींचतान से परेशान थे। माना यह जा रहा है कि प्रत्याशी चयन को लेकर चल रही खींचतान को लेकर वे परेशान थे। संभवत: उन्हें लग रहा था कि इस खींचतान में कांग्रेस का यहां से जीतना मुश्किल होगा। यही वजह रही कि उन्होंने चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया।
सोनिया गांधी व मुकुल वासनिक को भेजा पत्र
रविवार को यह खबर तेजी से फैली कि अरूण यादव खंडवा से चुनाव नहीं लड़ेंगे। रात होते-होते उन्होंने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर स्पष्ट कर दिया कि वे खंडवा से चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद वे राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक से मिले और पत्र सौंपा अपनी मंशा स्पष्ट कर दी।
कई हैं दावेदार, अब इन पर होगा विचार
सूत्रों का कहना है कि अरूण यादव ने पार्टी आलाकमान को खंडवा सीट के लिए उम्मीदवार के रूप में सुनीता सकरगाए और नरेंद्र पटेल के नाम सुझाए हैं, लेकिन पार्टी का मानना है कि ये कमजोर उम्मीदवार हैं। इन दो नामों के अलावा विधायक सचिन बिरला, राजनारायण सिंह और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी जयश्री सिंह के नाम भी चल रहे हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ अभी दिल्ली में हैं। ऐसे में संभव है कि इनमें से किसी नाम पर मुहर लग जाए। या फिर यह भी हो सकता है कि अरूण यादव को मना लिया जाए। लेकिन इस पूरी कवायद से यह तो स्पष्ट है कि भाजपा की उम्मीदों को बल जरूर मिला है। यानि कि बिखरी हुई कांग्रेस का एकजुट भाजपा से मुकाबला होगा। इन परिस्थितियों में पलड़ा किसका भारी होगा, यह देखने वाली बात होगी।

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