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प्रदेश के 313 विकासखंडों में अत्याधुनिक गौ-एंबुलेंस की सुविधा देंगे- स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि

छिंदवाड़ा। प्रदेश के 313 विकासखंडों में शीघ्र ही एक-एक अत्याधुनिक गौ-एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिये केन्द्र सरकार से राशि मिल चुकी है और टेंडर भी हो चुका है। इस अत्याधुनिक गौ-एंबुलेंस से दुर्घटना में घायल अथवा बीमार गाय को त्वरित उपचार मिल सकेगा। म.प्र. गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने जिला पंचायत छिंदवाड़ा के सभाकक्ष में हुई एक बैठक में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में गाय के चारा की व्यवस्था के लिये चरनोई भूमि भी आवंटित हो गई है तथा चरनोई भूमि विकास मिशन के गठन का प्रस्ताव राज्य शासन के पास विचाराधीन है, जिस पर शीघ्र ही निर्णय लेकर इसका क्रियान्वयन किया जायेगा। स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने जिले की सभी शासकीय व अशासकीय गौ-शालाओं के संचालकों/प्रतिनिधियों को संबोधित किया। इस अवसर पर जिला स्तरीय गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन समिति के उपाध्यक्ष राहुल वसूले व सदस्य संदीप वर्मा, उप संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग डॉ. एच.जी.एस. पक्षवार, डॉ. एम.के.मौर्य, डॉ. अभिषेक शुक्ला, अन्य पशु चिकित्सक, शासकीय व अशासकीय गौ-शालाओं के संचालक और प्रतिनिधि उपस्थित थे।
विदेशों में भी गौ-पालन और संवर्धन के कार्यों को देखने का सुअवसर मिला
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि भारतीय जीवन मूल्यों के संरक्षण और पारंपरिक अवधारणाओं के आधार पर भारतीयों द्वारा जो कार्य किये जा रहे हैं, वे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सराहनीय है। भारत में गौ-रक्षा के लिये कार्य करने के दौरान भारत के अलावा विदेशों में भी जाकर गौ-पालन और संवर्धन के कार्यों को देखने और समझने का सुअवसर मिला जिससे बोर्ड के माध्यम से प्रदेश में गौ-पालन और संवर्धन की दिशा में सकारात्मक दृष्टिकोण से कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2 प्रकार से गायों के पालन, संरक्षण और संवर्धन की दिशा में कार्य करने की कार्य योजना बनाई गई है। पहली कार्ययोजना के अंतर्गत जनभागीदारी से गौ-शालाओं के संचालन का निर्णय लिया गया है जिसमें महिला स्व-सहायता समूहों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जायेगी। दूसरी कार्ययोजना के अंतर्गत गौ-शालाओं की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। इसके लिये प्रदेश की लगभग 7 करोड़ आबादी से आव्हान किया जायेगा कि वे गौ-ग्रास के रूप में प्रतिदिन 10 रूपये की राशि अपनी गुल्लक में संग्रहित करें और 365 दिन पूरे होने पर यह राशि बोर्ड के पोर्टल के माध्यम से बोर्ड के खाते में जमा करें। यदि प्रदेश की एक करोड़ की आबादी से भी यह राशि प्राप्त होती है तो एक वर्ष में संग्रहित 3650 करोड़ रूपये की राशि के ब्याज की राशि से ही प्रदेश की गौ-शालाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मनरेगा की राशि से शासकीय गौ-शालाओं के संचालन का निर्णय लिया गया है तथा 15वें वित्त आयोग की राशि से भी गौ-शालाओं को आर्थिक रूप से सहयोग किया जायेगा, किन्तु यह गौ-शालायें ग्राम पंचायत द्वारा स्व-सहायता समूहों के माध्यम से संचालित की जायेंगी।
म.प्र. गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामीअखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि गाय और वन दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। जहां गाय को वन से आहार मिलता है, वहीं वन को भी गाय पोषण प्रदान करती है। प्रदेश के लिये यह सुखद संयोग है कि प्रदेश में गौ-अभयारण्य बनाये जा रहे हैं औरप्रदेश के जिला रीवाँ के बसावन मामा नामक स्थान पर 52 एकड़ भूमि प्राप्त कर गौ-वंश वन्य विहार बनाये जाने की दिशा में पहल की जा चुकी है। प्रदेश में 95 हजार वर्ग कि.मी.का वन क्षेत्र है और देश का सर्वाधिक गौ-वंश भी मध्यप्रदेश में ही है। गौ-वंश वन्य विहार के माध्यम से गायों को जहां सुरक्षा मिलेगी, वहीं वन भी समृद्ध हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में शासन द्वारा ग्राम पंचायतों की लगभग 1400 एकड़ जमीन जिला आगर मालवा अन्तर्गत सुसनेर तहसील अन्तर्गत सालरिया में अधिग्रहित कर गो अभयारण्य, गौ-शालायें बनाई गई जिनका वर्ष 2018 में उन्होंने ही लोकार्पण किया। वर्तमान में शासकीय गौ-शालाओं में लगभग 2 लाख गौ-वंश है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गौ-सेवा के क्षेत्र में 627 स्वयंसेवी संगठन कार्य कर रहे है और इन गौ-शालाओं में 187000 गौ-वंश है। उन्होंने कहा कि गौ-शाला संचालन के लिये समस्या की जगह समाधान को मुखरित करने की आवश्यकता है जिससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी और गौ-शाला को सही ढंग से चलाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि नागरिक कर्तव्यों के पालन से भी इस दिशा में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि गौ-शाला संचालन के 7 आयाम हैं और इनका प्रबंधन सही ढंग से किये जाने पर प्रदेश की गौ-शालाओं को आदर्श गौ-शाला के रूप में बनाकर संचालित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि गौ-पालन के लिये अच्छे सांड की उपलब्धता आवश्यक है जिससे अच्छी बछिया संतान उत्पन्न हो सके। इस दिशा में 68 बछड़े तैयार किये गये हैं जो 3 वर्ष बाद कार्य करना शुरू कर देंगे तथा इन बछड़ों से उत्पन्न बछिया संतान 40 लीटर तक दूध दे सकेगी।
अध्यक्ष श्री स्वामी गिरि ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया है। और किसानों को इस दिशा में प्रेरित किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती में जहां निशुल्क हवा, पानी, धूप और अन्य प्राकृतिक संसाधन मिलेंगे, वहीं गायों के गोबर व गौ-मूत्र से जैविक खेती के संसाधन उपलब्ध होंगे। इसके लिये प्रत्येक जिले में 100-100 एकड़ भूमि के मान से 5200 एकड़ जमीन सुनिश्चित करने की कार्ययोजना बनाई गई हैं जिसमें प्रति गाय पर 900 रूपये की राशि प्रतिमास दी जायेगी। उन्होंने कहा कि समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत निर्मित किये जा रहे शौचालयों की तर्ज पर ही पशुपालकों के लिये गौ-शाला बनाने की दिशा में भी कार्य किया जायेगा जो प्राकृतिक खेती के लिये उपयोगी होगा। उन्होंने पशुपालकों और किसानों से आव्हान किया कि अधिक से अधिक प्राकृतिक व जैविक खेती करने का प्रयास करें जिससे कृषि व दुग्ध उत्पादन की दिशा में बेहतर कार्य हो सके। उन्होंने बेसहारा पशुओं के प्रबंधन, गौ-शाला संचालन में नवाचार और गौ-पालन व संरक्षण की दिशा में किये जा रहे अन्य प्रयासों की भी विस्तार से जानकारी दी और जिले में संचालित गौ-शालाओं विशेषकर ट्रस्टीशिप द्वारा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित गौ-शालाओं की सराहना की। उन्होंने जिला समिति में उपाध्यक्ष के पद पर नव नियुक्त श्री राहुल वसूले को नियुक्ति पत्र भी प्रदान किया तथा इस समिति में एक महिला सदस्य को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में उप संचालक डॉ.पक्षवार ने जिले में संचालित शासकीय गौ-शालाओं में गायों के उपचार के लिये नियुक्त किये गये नोडल व सहायक नोडल अधिकारियों की जानकारी देने के साथ ही जिले में प्राकृतिक खेती की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने अंत में आभार भी व्यक्त किया। प्रारंभ में अतिथियों का पुष्पहारों से स्वागत किया गया तथा गौ-शाला संचालकों व प्रतिनिधियों से परिचय प्राप्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.मोर्य ने किया।

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