सुपर कारिडोर पर आकार लेने वाले कन्वेंशन सेंटर और स्टार्टअप पार्क का काम अनुमति की उलझन के कारण शुरू नहीं हो सका। स्टार्टअप पार्क की ऊंचाई बढ़ाने का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है, जबकि कन्वेंशन सेंटर के भू-उपयोग की फाइल भी शासन ने लौटा दी है। यह फाइल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर लौटाई गई है। दोनों महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा हैं, जबकि कंसल्टेंसी की नियुक्ति भी की जा चुकी हैं।
इस वर्ष इंदौर में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान आधुनिक सुविधाओं वाले संयुक्त कन्वेंशन सेंटर की आवश्यकता महसूस की गई थी। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में अधिक संख्या के कारण कई मेहमान हाल के बाहर ही रह गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में 10 हजार की बैठक क्षमता का कन्वेंशन सेंटर बनाने की बात कही थी। इसका जिम्मा इंदौर विकास प्राधिकरण (आइडीए) को सौंपा गया
आइडीए ने भी तुरंत जमीन खोज कर इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया, परंतु शासन ने आइडीए के भू-उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव को लौटा दिया। सूत्रों का कहना है कि कन्वेंशन सेंटर बनाने के लिए प्राधिकरण द्वारा जल्दबाजी में भू-परिवर्तन का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया गया था। जमीन के उपयोग को लेकर पड़ताल और नियमों को नहीं देखा गया। सरकार से मिली अनुदान की जमीन होने से प्रस्ताव अटक गया। अब आइडीए फिर से प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है, ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके।
ऊंचाई बढ़ाने का मामला शासन स्तर पर लंबित
प्रदेश में युवाओं द्वारा शुरू किए स्टार्टअप को उचित अवसर प्रदान करने के लिए शहर में बहुमंजिला स्टार्टअप पार्क बनाया जाना था। कंसल्टेंट एजेंसी नियुक्त कर इसकी डिजाइन भी फाइनल की जा चुकी हैं। 27 मंजिला इमारत की ऊंचाई बढ़ाने का प्रस्ताव शासन स्तर पर अटका हुआ है। इस जमीन पर मेट्रो और वन विभाग भी दावा कर रहे है। 500 करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट का काम आगे नहीं बड़ पाया।
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