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शंकराचार्य जी ने विद्यालय, संस्कृत विद्यालय, औषधालय, जैसे सेवा के प्रकल्प शुरू किए थे- शिवराज

नरसिंहपुर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परमपूज्य ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य जी को समाराधना कार्यक्रम में नमन किया। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य जी ने 9 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था, शंकराचार्य महान देशभक्त थे। वे आजादी की लड़ाई में कूदे और 19 माह की जेल काटी। वे क्रांतिकारी साधु कहलाए जाते थे। शंकराचार्य जी ने विद्यालय, संस्कृत विद्यालय, औषधालय, जैसे सेवा के प्रकल्प शुरू किए। समान नागरिक संहिता, श्रीराम मंदिर, गौ रक्षा पर देश को जगाया।
शिवराज ने कहा कि परमपूज्य ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने आत्मा के मोक्ष और जगत के हित के लिए सर्वदा कार्य किया। यह क्षेत्र तो धन्य है, उनकी तपस्या, उनकी साधना ने इस क्षेत्र को एक ऊर्जास्थल बना दिया है। विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और औषधालय, अनेक सेवा के उन्होंने प्रकल्प प्रारंभ किये। हमारी सनातन संस्कृति संपूर्ण विश्व में लगातार बढ़ती रहे, इसके लिए उन्होंने जीवनभर कार्य किया। श्रद्धेय गुरु के श्रीचरणों में सादर प्रणाम करता हूं। हमारे संतों एवं ऋषियों ने ईश्वर को प्राप्त करने के तीन मार्ग- ज्ञान मार्ग, भक्ति मार्ग और कर्म मार्ग बताए हैं। ज्ञान, भक्ति और कर्म तीनों के त्रिवेणी संगम थे परम पूज्य ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज।
सीएम ने कहा कि उन्होंने ज्ञान पिपासा तो शांत की ही, आजादी की लड़ाई में भी भाग लिया। वह 19 महीने जेल में रहे और क्रांतिकारी साधु कहलाए। उन्होंने धर्म की जय, अधर्म के नाश, प्राणियों में सद्भावना और विश्व के कल्याण के लिए पूरा जीवन समर्पित किया। वह दीन, दुखी, दलितों और शोषितों के लिए जीवन भर काम करते रहे, चाहे झारखंड में विश्व कल्याण आश्रम हो, या अलग-अलग राज्यों में जनजातियों के कल्याण के काम। चिकित्सालय, विद्यालय, संस्कृत पाठशाला सहित अनेकों सेवा के कामों का सदैव उन्होंने संचालन किया है। समान नागरिक संहिता, अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण और गौ रक्षा जैसे विषयों पर हमेशा उन्होंने देश को जगाने का काम किया। मैं उनके चरणों में प्रणाम करता हूं।

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