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श्री गणेश की मूर्तियां बनाने महीनों से जुटे मूर्तिकार.. पर्यावरण बचाने पीओपी नहीं मिट्टी की खरीदें प्रतिमाएं

निवास। देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार नजदीक है। गांव से लेकर शहर तक हर गली-मोहल्ले में प्रथम पूज्य श्री गणेश की झांकियां तैयार होने लगी हैं। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्लास्टर ऑफ पेरिस यानी की पीओपी की मूर्तियों बनाने पर शासन व प्रशासन सख्त है। मंडला जिले के निवास क्षेत्र के मूर्तिकार दिलीप चक्रवर्ती एवं अन्य सभी मूर्तिकार मिट्टी की मूर्ति बनाने में महीनों से जुटे हुए हैं। मूर्तिकार मानते हैं कि इससे आस्था के साथ पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है।
25 वर्ष से बना रहे मूर्तियां
एक बात जरूर है की मिट्टी की मूर्ति बनाने में मेहनत ज्यादा होने के कारण पीओपी के मुकाबले महंगी बिकती है और मेहनत भी ज्यादा लगती है। दिलीप चक्रवर्ती पिछले 25 वर्षों से मिट्टी की गणपति की प्रतिमाएं व दुर्गा माता की प्रतिमाएं बना रहे हैं।
जबलपुर से लाना पड़ता है सामग्री
मूर्तिकार दिलीप चक्रवर्ती ने बताया कि प्रतिमाएं तैयार करने के लिए उन्हें जिन-जिन प्रकार की सामग्रियों की जरूरत होती है वह निवास नगर में उपलब्ध नहीं हो पाती है। उन्हें सामग्री खरीदने के लिए 65 किलोमीटर दूर जबलपुर जाना पड़ता है।
इस बार मूर्तियां भी हो गईं महंगी
मूर्तिकार बताते हैं कि जिस तरह से निरंतर महंगाई बढ़ती जा रही है, उससे अब निर्माण सामग्रियों के दाम में भी काफी उछाल आया है। इसी वजह से मूर्तियां भी महंगी हो गई हैं। दामों में करीब 25 से 30 फीसदी इजाफा हुआ है।
सरकार नहीं देती प्रोत्साहन, किसी तरह चल रही गुजर-बसर
मूर्तिकार दिलीप चक्रवर्ती ने बताया कि प्रजापति कुम्हार समाज को शासन प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है। वे किसी तरह अपने और अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं। अगर प्रोत्साहन मिले तो उनकी कला में और भी निखार आ सकता है, जिससे देश-विदेश में माटी कला के माध्यम से नगर का नाम देश-दुनिया में रोशन हो सके।

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