जबलपुर। आज जिस तरह से समय के बदले परिवेश व बदलते स्वरूप के साथ हमारी युवा पीढ़ी अपनी मूलभूत भाषा संस्कृत से दूर होते जा रही है व पाश्चात्य का प्रभाव बढ़ता जा रहा है , ये एक चिंता का विषय है । सँस्कृत सब भाषाओँ की जननी है , हमारी संस्कृति, हमारी धरोहर है। इसे पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से संस्कृत की पाठशालायें चलाई जा रही हैं। हिट वॉइस न्यूज ने जबलपुर से 18 कि. मि. दूर भेड़ाघाट के पंचवटी घाट समीप स्थित राजहंस संस्कृत विद्यालय का दौरा कर स्थिति को जानने का प्रयास किया ।
राजहंस संस्कृत विद्यालय गत 122 वर्षों से संचालित होता आ रहा है, अर्थात सन 1917 से। हिट वॉइस न्यूज से बात करते हुये विद्यालय के प्राचार्य सीताराम द्विवेदी ने विस्तृत रूप से इससे सम्बंधित रोचक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह छात्र अपना घर एवं माता पिता का स्नेह त्याग कर उत्साहपूर्वक यहां सँस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन पीढिय़ों के लोग यहां से ये लाभ अर्जित कर चुके हैं। स्कूल के पास श्री हनुमान और शिवजी का प्राचीन मंदिर भी है, जहां छात्र और स्कूल का स्टाफ विधिवत पूजा-अर्चना करता है।
संस्कृत सब भाषाओं की जननी, युवा पीढ़ी उससे दूर होते जा रही
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