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आजकल बच्चे इंटेलिजेंट पैदा हो रहे हैं, विवेकशील नहीं- देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

अंबिकापुर। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस की शुरुआत विश्व शांति की प्रार्थना के साथ की गई। इसके बाद पूज्य महाराजश्री ने पधारे सभी प्रभु प्रेमियों को मैं तो तेरी हो गई श्याम, शोर है गली-गली भजन श्रवण कराया। राधा अष्टमी के अवसर पर पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को राधा अष्टमी महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस बात से तो हम सभी वाकिफ़ है कि आज के समय के माता-पिता भी यही चाहते हैं कि उनका बच्चा इंटेलिजेंट हो लेकिन इस खास विषय पर पूज्य महाराज श्री ने भक्तों के सामने एक इंटेलिजेंट बच्चे और एक विवेकवान बच्चे के बीच अंतर साझा किया और कहा- आजकल बच्चे इंटेलिजेंट पैदा हो रहें हैं विकेकशील नहीं। इंटेलिजेंट सिर्फ खाने और कमाने के लिए ही होता है जिसे कोई मतलब भी नहीं कि उसके मां-बाप उसके साथ हों या ना हो वो उसके बारे मे क्या सोचेंगें, उन्हें केवल नौकरी से मतलब है। लेकिन विवेकवान कौन है जिस कुछ मिले ना मिले, जो सोचे कि मेरा नाश ना हो जाए, यहां भी मैं सम्मान के साथ जीयूं और ऊपर भी अपने ठाकुर जी के साथ सम्मान से मिल सकूं। ऐसे जीवन जीने की कला जो तलाशता रहे वो ही विवेकवान है।
पूज्य महाराज श्री भक्तगणों को मनुष्य के जीवन के सबसे बड़े संकट के बारे में बताया, कि आखिर किस कारण मनुष्य बड़े संकट में फंस सकता है। इसी के साथ महाराज श्री ने मानव जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति का भी वर्णन किया एवं बताया कि आखिर कैसे मनुष्य अपने जीवन में सभी सुखों का भोग कर सकता है। जीवन में मनुष्य को भगवत प्राप्ति कैसे होती ? ईश्वर जब हमारे ऊपर कृपा करते हैं तो भगवान हमें सत्संग प्राप्त करा देते हैं। सत्संग होना ये हमारे सदकर्मों का प्रभाव नहीं हमारे ठाकुर जी की कृपा का प्रभाव है। जब तक ठाकुर जी कृपा ना करें तब तक सत्संग नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि हर रोज़ व्यक्ति अपने जीवन में सफल होने का निरंतर प्रयास करता है लेकिन असल जीवन में सफल होने का अर्थ नहीं जा पाता जिसे लेकर पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को यह भी बताया कि जीवन में कौन सबसे सफल व्यक्ति है।
समापन दिवस पर पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में कथा श्रवण करने हेतु भारी संख्या में भक्त पहुंचें जिस दौरान भक्तों ने कथा के रस श्रवण के साथ-साथ अनेकों भजनों का भी आनंद प्राप्त किया। श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस पर भक्तों के निष्काम भक्तिभाव के संग भागवत विदाई की गई।

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