Homeमध्यप्रदेशचुनाव जीतने भाजपा नेताओं की 'कुर्बानी' को तैयार ।

चुनाव जीतने भाजपा नेताओं की ‘कुर्बानी’ को तैयार ।

  • लंबे समय से जमे कई विधायकों के कट सकते हैं टिकट
  • सीएम का निर्णय अभी नहीं होगा

भोपाल। जब से भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व एक्शन मोड़ पर आया है,तब से पार्टी के कई धुरंधर नेताओं के होश उड़े हुए हैं। पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व हर हाल में टिकट बंटवारे में न केवल ‘जीत सकने वाले को ही टिकट’ का फार्मूला अपनाने वाली है बल्कि इसके लिए वह वर्षों पुराने विधायकों अथवा टिकट के दावेदारों की भी कुर्बानी को तैयार दिख रही है। हालांकि पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन गुजरात जीतने का जो फार्मूला पार्टी अपना चुकी है कमोवेश वैसा ही तरीका मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपनाने की तैयारी चल रही है। बता दें कि गुजरात में पार्टी के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से विषवमन करने वाले नितिन पटेल जैसे जनाधार वाले नेताओं को भी किनारे लगा दिया गया था। भूपेंद्र पटेल जैसे सामान्य जनाधार व पृष्ठभूमि वाले नेता को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाकर नेतृत्व ने बड़े-बड़े दिग्गजों को भी हतप्रभ कर दिया था।

क्या शिवराज होंगे पुनः सीएम चेहरा

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सीएम चेहरा इस बार कौन होगा ? इस बारे में अमित शाह ने भोपाल की मेगा मीटिंग में ये साफ कर दिया है कि सीएम चेहरा कोई नहीं होगा। चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे और पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन पर ही लड़ा जाएगा। यानी यह साफ कर दिया गया है शिवराज सीएम चेहरा नहीं होंगे। पूरा नियंत्रण केन्द्रीय नेतृत्व ने अपने हाथ में ले लिया है।

क्या फीडबैक से सावधान हो गई बीजेपी

चुनाव में शिवराज को आगे न करने के पीछे की एक बड़ी वजह है। भाजपा के अंदर खाने से खबर मिली है कि मध्यप्रदेश में शिवराज के नेतृत्व में चल रही सरकार के प्रति आमजन का रुख ठीक नहीं है। बल्कि फीडबैक तो ये तक मिला है कि शिवराज सिंह चौहान के नाम से सवर्ण,एससी/एसटी वर्ग नाराज है। शिवराज बेशक लाड़ली बहना योजना और पिछड़ों को 27%आरक्षण का सपना दिखाने में लगे रहें लेकिन इन तमाम यत्नों का आधे से अधिक मतदाताओं पर कोई खास अंतर नहीं पड़ रहा है। नतीजतन संभावना इस बात की अधिक है कि चुनाव जीतने के बाद ही पार्टी सीएम के बारे में निर्णय लेगी। अभी से ऐसा करके पार्टी अन्य दावेदारों को नाराज नहीं करना चाहती है।

पार्टी फोरम से बाहर बोलने वाले पुराने नेताओं की नहीं खैर

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों से खबरें निकलकर सामने आई हैं कि जब -तब पार्टी लाइन से हटकर मीडिया अथवा अन्य माध्यमों से विरोधाभासी बयान देने वाले पुराने नेताओं को भी इस चुनाव में सबक सिखाया जा सकता है। पूर्व मंत्री अजय विश्नोई,जयंत मलैया,अनूप मिश्रा एवं हरेन्द्रजीत सिंह ‘बब्बू’ जैसे कई नेता ऐसे हैं जिन्होंने मंत्री न बनाए जाने अथवा टिकट न मिलने के कारण पार्टी लाइन से हटकर विरोधाभासी बयान दिया था जिसके कारण पार्टी की साख पर असर पड़ा है। ऐसे नेताओं को बताने की कोशिश की जाएगी कि मंत्रीमंडल में किसी को शामिल करने या न करने और टिकट देने या न देने के निर्णय में शीर्ष नेतृत्व की मुहर लगती है।ऐसे में किसी भी प्रकार की खिलाफत को पार्टी की खिलाफत ही मानी जाएगी।

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