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जनजातीय गौरव दिवस पर गर्माई राजनीति.. फिजूलखर्ची आईफा अवार्ड तक पहुंची आजादी का अमृत महोत्सव..एपिसोड-4

भोपाल। 15 नवंबर का दिन मप्र के लिए ऐतिहासिक रहा। इस दिन को सरकार ने जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल आने के पहले झारखंड के रांची में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान व स्वतंत्रता सेना संग्रहालय का ऑनलाइन उद्घाटन किया। मोदी ने जनजातीय परंपरा व शौर्य गाथा को अब और भव्य पहचान देने की बात कही। जब मोदी भोपाल आए तो प्रदेशभर से पहुंचे जानजातीय वर्ग के लोगों ने उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। मोदी ने अपने भाषण में प्रभु श्रीराम के वनवास के समय को याद करते हुए कहा कि वनवासियों के कारण ही भगवान राम मर्यादा पुरूषोत्तम बने। जनजातीय समाज के बिना श्रीराम के जीवन की सफलताओं की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने ऐलान किया गांधी, पटेल और आंबेडकर की तरह बिरसा मुंडा की जयंती अब देशभर में मनाई जाएगी।
इस आयोजन पर कांग्रेस ने भी जमकर राजनीति की। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसे फिजूलखर्ची बताया तो कमलनाथ ने इस आयोजन के साथ ही हबीबगंज स्टेशन का नामकरण रानी कमलापति के नाम पर करने पर सवाल उठाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि आयोजन को फिजूलखर्ची बताने वाले खुद आईफा अवार्ड करने जा रहे थे। नवाबी इतिहास पर उन्होंने कहा कि इससे पहले यहां गोंड शासक रहे हैं। अफगान लुटेरे दोस्त मोहम्मद ने पहले नगर को लूटा। राजधानी स्थित लालघाटी में रानी कमलापति के बेटे नवल शाह की हत्या की। रानी ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए छोटे तालाब में जल जौहर किया। इस तरह रानी ने अपनी आन-बान-शान को मिटने नहीं दिया और स्वाभिमान बचाए रखा। गोंडवाना शासन की अंतिम रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज स्टेशन किया गया है। ऐसे में आने वाली पीढि़ जरूर उनके योगदान को जानेगी। अगले एपिसोड में आपको बताएंगे कौन हैं बिरसा मुंडा और आजादी में उनका क्या योगदान रहा। साथ ही टंट्या भील के बारे में भी आपको बताएंगे।

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