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अग्नि हादसे के बाद जागा पुलिस-प्रशासन, हॉस्पिटल संचालक व अन्य के विरूद्ध हत्या का प्रकरण दर्ज, सहायक मैनेजर गिरफ्तार

जबलपुर। न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शिवनगर दमोहनाका में आगजनी की घटना के बाद पुलिस-प्रशासन की नींद खुल गई है। अस्पताल के संचालक व अन्य के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया है, तो सहायक मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया गया है। अस्पताल में 8 लोगों के जिंदा जलने के बाद यह कार्रवाई सवालों के घेरे में है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि 8 लोगों की जान जाने के बाद यह कार्रवाई किस काम की है। बहरहाल हादसा तो हो गया, कुछ दिन जांच चलेगी, नतीजा क्या निकलेगा पता नहीं, लेकिन तब तक लोग भूल जाएंगे और मौत के अस्पताल ऐसे ही लोगों की जान से खेलते रहेंगे। यह पहले भी हुआ है और आगे भी होता रहेगा।
सुरक्षा के नहीं थे इंतजाम, क्या कर रहे थे अधिकारी
जांच घटना स्थल से जले हुये दस्तावेज, जले हुए अग्निशमन यंत्र एवं न्यू लाईफ स्पेशलिटी अस्पताल द्वारा मार्च 21 में प्रोविजलन फायर एनओसी प्राप्त हुई है। इसकी वैधता मार्च 2022 में समाप्त हो गयी थी। प्रोविजनल फायर एनओसी में स्वीकृत फायर प्लान अनुसार अस्पताल में अग्निशामक उपकरण स्थापित किया जाना था, लेकिन पाया गया कि पर्याप्त अग्निशामक यंत्र नहीं थे। न ही रेत की बाल्टियां आदि आग बुझाने में सहायक वस्तुएं थी। इतना ही नहीं आग लगने की इमरजेंसी स्थिति में कोई बाहर निकलने के रास्ते भी चिन्हित नहीं किये गये थे। एक ओर तो यह सारी आवश्यक वस्तुऐं नही थी दूसरी ओर अस्पताल बिल्डिंग के सौन्दर्यीकरण के लिये प्लास्टिक के क्यूब से कवर कर दिया गया था, जो बहुत ही ज्वलनशील पदार्थ से बनी थी। आग भडक़ने का व न बुझाने का भी यह प्रमुख कारण था। सवाल यह है कि प्रशासन ने कभी जांच क्यों नहीं की। यह अस्पताल कोरोनाकाल में मरीजों से लूट-खसोट करता रहा और प्रशासन आंख मंूदे बैठा रहा।
ये हैं मौत के जिम्मेदार
न्यू लाईफ मल्टीस्पेशिलटी अस्पताल सीएमएचओ के आदेश से संचालित था। इसके डायरेक्टर/प्रोपाराईटर डॉ. निशिंत गुप्ता , डॉ. सुरेश पटैल, डॉ. संजय पटेल एवं डॉ. संतोष सोनी थे। उक्त अस्पताल 30 बेड का था, नर्सिंग होम नियम के अनुसार नर्सिंग होम के लिये फायर एनओसी आवश्यक है। अस्पताल के डायरेक्टर मैनेजर उक्त कमियों के बारे में भलीभांति अवगत थे। उनके संज्ञान में नगर निगम द्वारा एवं सीएमएचओ द्वारा अपने पत्रों से उन्हें अवगत कराया गया था परन्तु इन्होंने टाल मटोल करते हुये अपने दायित्यों को निवर्हन पूर्ण रूप से नहीं किया। अस्पताल का लोड एवं जनरेटर के लोड में अंतर के कारण जनरेटर से वायर जलने जैसा हादसा नहीं होताद्ध अस्पताल में रखे जनरेटर की लोकेशन भी उचित स्थान पर नहीं थी। अस्पताल में इमरजेंसी की स्थिति में कोई निर्मग मार्ग भी नहीं था। अस्पताल मे इलाजरत मरीजों की मृत्यु हुई एंव अन्य कई गंभीर रूप से घायल हुये। जांच पर गैर इरादतन हत्या व आपराधिक मानव वध का अपराध घटित होने से डॉ. निशिंत गुप्ता, डॉ. सुरेश पटैल, डॉ. संजय पटैल, डॉ. संतोष सोनी एवं सहायक मैनेजर राम सोनी के विरूद्ध धारा 304, 308, 34 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। एक आरोपी सहायक मैनेजर राम सोनी पिता महेन्द्र सोनी उम्र 29 वर्ष निवासी रामवार्ड पनागर को अभिरक्षा में लेते हुये शेष फरार आरोपियो की सरगर्मी से तलाश जारी है।

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