जबलपुर। 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वीं जयंती मनाई गई। सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस केन्द्रीय जेल जबलपुर में पुलिस अधीक्षक जबलपुर सिद्धार्थ बहुगुणा ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि एवं फूलमाला अर्पित करते हुये नेताजी सुभाषचंद्र बोस की समृतियों को सहेज कर बनाये गये संग्राहलय का शुभारंभ किया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस केन्द्रीय जेल जबलपुर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की समृतियों को सहेज कर बनाये गये संग्रहालय का एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.) द्वारा केन्द्रीय जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर की उपस्थिति में शुभारंभ किया गया। उन्होंने बताया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जबलपुर से गहरा नाता रहा है, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेज सरकार ने आपको इसी जेल मे कैद कर रखा था। जेल के बैरिक में नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े सामान आज भी सुरक्षित रखे गये हैं।
एसपी नेे कहा कि सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा बड़े नेता थे। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लडऩे के लिये, जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। ‘‘जय हिंद’’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया।
इतनी बार जबलपुर आए नेताजी
उन्होंने बताया कि नेताजी का जबलपुर की केंद्रीय जेल से भी गहरा रिश्ता रहा है। ब्रिटिश सरकार ने जब उन्हें सजा सुनाई थी, तब नेताजी 22 दिसंबर 1931 को इसी जेल में लाए गए थे और 16 जुलाई 1932 को उन्हें मुंबई की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके बाद नेताजी को अंग्रेजों ने 18 फरवरी 1933 को जबलपुर जेल में रखा और 22 फरवरी 1933 को मद्रास भेज दिया था। इसके अलावा 1938 में त्रिपुरी कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी जबलपुर आये थे।
नि:शुल्क देख सकेंगे जीवंत झांकी
केन्द्रीय जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बताया कि केन्द्रीय जेल जबलपुर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की समृतियों को सहज कर संग्राहलय बनाया गया है। नेताजी की जुड़ी यादों की जीवंत झांकी सहित चित्र आधारित प्रदर्शनी को आम जन भी शनिवार एवं रविवार का नि:शुल्क देख सकेंगे, संग्रहालय मे प्रवेश करने वाले व्यक्ति को सुरक्षा मे तेैनात अधिकारी-कर्मचारी को अपनी आई.डी. दिखानी होगी, संग्राहलय में मौजूद जेल कर्मी नेतजी से जुड़ी बातों सहित मौजूद अभिलेख के सम्बंध में जानकारी साझा करेंगे।