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कड़वी लेकिन सच्ची बात बोल गए मुरलीधर राव, भाजपा के कुछ नेता तिलमिलाए

भाजपा के प्रदेश प्रभारी पी. मुरलीधर राव ने वरिष्ठ नेताओं को कहा था नालायक
भोपाल। भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने हाल ही में जब भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को नालायक कहा, तो बवाल मचना स्वभाविक ही था। उनके इस बयान से कुछ बीजेपी के वरिष्ठ विधायक नाराज हैं, तो कुछ दबी जुबान में इसे सीख के तौर पर ले रहे हैं। वैसे भी मुरलीधर राव ने कड़वी सच्चाई बयां की है, तो नेताओं को चीटा तो लगना ही था। अब अगर फ्लैशबैक में जाएं तो यह बात निकलकर आएगी कि पिछले विधानसभा के चुनाव में कुछ वरिष्ठ नेताओं के कारण ही भाजपा 4-5 सीटें पीछे रह गई और उसे 15 माह तक सत्ता से दूर रहना पड़ा। भले ही अब सरकार बन गई, लेकिन ऐसे नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया। अब यही नेता गाहे-बगाहे खुद की उपेक्षा की बात कहते हैं, तो ऐसे में भाजपा के प्रदेश प्रभारी ने सच्चाई ही बयां की है। हालांकि नालायक शब्द का प्रयोग अनुचित था, लेकिन फिर भी सच्चाई तो कड़वी होती ही है।
ये हैं वो बयान, जिससे मचा बवाल
पी. मुरलीधर राव ने 9 सितंबर को बयान दिया था कि पार्टी 16-17 साल से सत्ता में है। जब भी मैं कहीं जाता हूं तो जो विधायक 4-5 बार से लगातार जीत रहे हैं, कई सांसद लगातार जीत रहे हैं लेकिन फिर भी वे नाखुश दिखाई देते हैं। जनता के भरपूर आशीर्वाद के बाद भी कहते हैं कि उन्हें मौका नहीं मिल रहा। शिकायत रहती है कि ये नहीं मिला-वो नहीं मिला। मुरलीधर राव ने कड़े शब्दों में कहा कि इतना सब कुछ मिलने के बाद भी अगर ये बोलेंगे कि कुछ नहीं मिला, तो उनके जैसा नालायक कोई नहीं है। उन्होंने साफ कह दिया कि अब ऐसे लोगों को कुछ नहीं मिलना चाहिए।
पुराने चेहरों के कारण हुई थी हार
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद थी कि वह चौथी बार सत्ता में आएगी। देर रात तक आए नतीजों के बाद साफ हो गया कि भाजपा महज 4-5 सीटों से पीछे रह गई। इसके बाद यह मंथन हुआ कि आखिर किन वजहों से हारे। पार्टी के अंदरखाने यह भी निकलकर आया कि पुराने चेहरों के कारण पार्टी की सीटें कम पड़ गईं। दमोह से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया, उत्तर मध्य विधानसभा से शरद जैन, पश्चिम से हरेंद्र जीत सिंह बब्बू और पूर्व से अंचल सोनकर की जगह नए उम्मीदवार उतारे जाते तो शायद जीत मिल सकती थी। बहरहाल ये नेता हारे, लेकिन फिर महत्वाकांक्षा खत्म नहीं हुई।
सिंधिया के समर्थकों के कारण ये नेता साइडलाइन
सिंधिया के समर्थकों को मंत्री बनाए जाने से कई भाजपा विधायक दरकिनार हो गए। पूर्व मंत्री पारस जैन, सीतासरन शर्मा, राजेंद्र शुक्ला, अजय विश्रोई और संजय पाठक जैसे चेहरे मंत्रीमंडल में नहीं हैं। कई विधायक ऐसे हैं, जो उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन उन्हें जगह नहीं मिली। संभवत: आने वाले समय में पुरानी पीढ़ी को विदा करने की दिशा में पी. मुरलीधर राव के इस बयान को देखा जा सकता है।

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