एमपी में जलाभिषेक अभियान, कितनी सफल होगी सरकार..?
भोपाल। विश्व जल दिवस तो हर साल आता है और बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन उन पर अमल कितना होता है, यह बड़ा सवाल है। विश्व जल दिवस पूरे विश्व और पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन कोरी बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं होता। अगर होता भी है तो जनता उस पर पानी फेर देती है। यानि कि अगर सरकार गंभीरता से काम करे, तो जनता नासमझी दिखा देती है। पानी बचाने की जगह पर बर्बादी होती है। प्राकृतिक संसाधनों को किस तरह ध्वस्त किया जाता है और उन पर कब्जे तक होती हैं, यह हर गांव, हर शहर में बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। फिर बात करें अभियानों की तो, ये जनता के बीच नहीं पहुंच पाते। पहुंचे भी तो लोग मुझे क्या, मेरा क्या.. कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। फिर पानी की त्रासदी तो सभी को झेलनी है, लेकिन लोगों के पास सरकार को कोसने का उपाय रहता है, तो सरकार को आश्वासन देने का। हकीकत में अभियान तभी सफल हो सकते हैं, जब सरकार ईमानदारी से काम करे और जनता भी पूरी ईमानदारी के साथ उसे सफल बनाए। तभी हमारी धरा हरी-भरी, जल से युक्त हो सकती है। वरना झेलते रहिए जलसंकट, और गरियाते रहिए सरकार को।
प्रदेश सरकार का यह संकल्प
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्व जल दिवस पर कहा कि हमने प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवद्र्धन के प्रयासों को और गति देने का निर्णय लिया है। वर्षा जल के संरक्षण के लिए जलाभिषेक अभियान हम पुन: प्रारंभ कर रहे हैं। नागरिकों के माध्यम से जल संरक्षण के लिए प्रयास करेंगे। सबके सहयोग से यह संकल्प सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि विश्व जल दिवस पर हम सब संकल्प लें कि जल के सदुपयोग के लिए लोगों को जागरुक करेंगे। जितनी प्यास होगी, उतना ही पानी लेंगे। हम सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश की प्राणदायिनी मां नर्मदा वृक्षों से निकले जल से प्रवाहमान हैं। अत: धरा की समृद्धि और जल संरक्षण के लिए पौधरोपण अवश्य कीजिए। सीएम ने कहा कि हम प्रदेश की नदियों और जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए योजनाबद्ध प्रयास करने के लिए कटिबद्ध हैं। चेक डैम, स्टॉप डैम का निर्माण कर सिंचाई की क्षमता को हम तेजी से बढ़ाएंगे। हर घर नल से जल पहुंचे और हर खेत की प्यास बुझे, यही मेरा प्रयास है।