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बीजेपी से उपेक्षा के बदले महाकोशल फिर बढ़ा सकता है कांग्रेस का जलवा!

  • 13 एमएलए में सिर्फ 1 मंत्री और क्षेत्र के केंद्र जबलपुर की झोली रही खाली
  • चुनावी मौके पर महत्त्व के प्रदर्शन से कुछ हासिल नहीं होना

जबलपुर। महाकोशल यानी एक जमाने में उत्तर कोशल(जबलपुर क्षेत्र) एवं दक्षिण कोशल (छत्तीसगढ़ क्षेत्र)को मिलाकर बनाए गए महाकोशल क्षेत्र की पूछ-परख अविभाजित मध्यप्रदेश में खासी थी। मगर ज्यों-ज्यों समय बीतता गया त्यों-त्यों इस क्षेत्र की लीडरशिप कमजोर होती गई। यूं भी कह सकते हैं कि मंत्रीमंडल में जगह मिलनी ही कम कर दी गई। मंत्रीमंडल में जगह इसलिए जरूरी थी कि महाकोशल के विकास की संभावनाएं बलवती होती रहतीं।

मजे की बात एक और है कि जब कभी महाकोशल को मंत्रीमंडल में प्रतिनिधित्व की बात उठती तो संभाग के छोटे जिलों से मंत्री बना दिए जाते,वह भी प्रभावहीन विधायकों को मौका देकर। सबसे अधिक नाराज़गी इस अंचल में दरअसल सत्तारूढ़ भाजपा को लेकर है। जिसे 2013 में इस अंचल से 24 सीटें देकर उसका जलवा बढ़ाया गया था। मगर 2018 आते-आते और उपेक्षा बर्दाश्त करते-करते महाकोशल क्षेत्र का भाजपा से मोहभंग हो गया और उसने 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 24 सीटों से नवाजा। बदले में कांग्रेस सरकार ने भी जबलपुर और अन्य जिलों को मंत्रीमंडल में जगह दी। भाजपा के पास इस क्षेत्र से महज 13 विधायक हैं,जबकि कुल सीटें 38 हैं। समझा जा सकता है कि बीजेपी द्वारा की जाती रही उपेक्षा इस क्षेत्र के मतदाताओं के लिए नासूर बन चुकी है।

चुनावी समय में भाजपा की सक्रियता स्वीकार्य नहीं

विधानसभा सभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में बड़ी रैली-सभा क्यों की ? यह इसी से समझा जा सकता है कि इस क्षेत्र के लोगों की भाजपा से नाराज़गी का सीधा फायदा कांग्रेस को फिर से मिल सकता है। इसके जवाब में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने भी लाड़ली बहना योजना का बड़ा कार्यक्रम जबलपुर में करके यह जताने की कोशिश की कि वह महाकोशल को महत्व देना चाहती है। मगर लोग उल्टे सवाल कर रहे हैं कि जिस समय महाकोशल के विकास की दरकार थी उस समय भाजपा सरकार कहां थी। नतीजतन, महाकोशल में भाजपा जवाब दे पाने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है।

स्वयं के नेता वश में नहीं

भाजपा को हार का डर किस कदर सता रहा है,यह इस बात से समझते हैं। जबलपुर में मुख्यमंत्री ने लाड़ली बहना योजना के बड़े और चर्चित कार्यक्रम में कांग्रेस की घोषणा के जवाब में लाड़ली बहनाओं को हर महीने 1000 रुपए की बजाय सीधे 3000 रुपए देने की घोषणा कर दी । शिवराज सिंह चौहान की बाडी लेंग्वेज बता रही थी कि वे कांग्रेस से किस कदर डरे हुए हैं। शिवराज सिंह चौहान को मंत्रीमंडल के विस्तार के समय जबलपुर के वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय विश्नोई के व्यंग और तर्कों का भी कई बार सामना करना पड़ चुका है।

विश्नोई ने कई बार महाकोशल की उपेक्षा का मसला उठाया है। मगर, शिवराज इसलिए अनसुनी करते रहे कि वे किसी भी सूरत में अजय विश्नोई को मंत्री नहीं बनाना चाहते थे। शिवराज की इस जिद का खामियाजा पूरे महाकोशल को उठाना पड़ा। इसके अलावा पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू भी जब -तब पार्टी संगठन की पोल खोलते रहते हैं। यही कहना सही होगा कि स्वयं के नेता ही शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के प्रदेश स्तर के संगठन के वश में नहीं हैं।

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