कम पियो तो दवा.. ज्यादा पियो तो शराब है खराब..!

एमपी में सस्ती शराब और शराबबंदी पर राजनीति है गर्म.. नेताओं के अपने-अपने सुर
भोपाल। इन दिनों मध्य प्रदेश में शराब पर कोहराम मचा हुआ है। सरकार ने नई शराब नीति पर मदिरा सस्ती करने का निर्णय क्या लिया, राजनीति का पारा चढ़ गया। पक्ष में कसीदे पढ़ेे जाने लगे, तो विपक्ष भी कहां चूकने वाला था। विपक्ष ने सस्ती शराब पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। ऐसे में सरकार अपने बचाव में तर्क पेश कर रही है। अब भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को ही ले लो। उन्होंने तो कह दिया है कि कम मात्रा में शराब पीने से यह किसी आयुर्वेदिक दवा से कम नहीं है। वहीं अधिक मात्रा में शराब लो तो यह किसीी जहर से कम नहीं है। प्रज्ञा ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के शराब बंदी पर भी नपे-तुले शब्दों में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वे प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं। इसलिए वे सोच-विचार कर ही कोई बयान देती हैं।
लखन ने खड़े किए सवाल
पूर्व सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया ने नई शराब नीति पर दिया बयान। शराब सस्ती कर मुख्यमंत्री देख रहे स्वर्णिम मध्य प्रदेश का सपना। घर घर में बिकेगी शराब तो होंगे परिवार में विवाद, पति पत्नी में होंगे विवाद। किस रास्ते पर चलना चाह रही सरकार.. ये समझ के परे है। शराब की जगह डीजल, पेट्रोल और घरेलू गैस होनी चाहिए थी सस्ती। सरकार सिर्फ राजस्व की वसूली के लिए प्रदेश को झोंक रही है अराजकता के माहौल में। उमा भारती और शिवराज सिंह पर भी लखन घनघोरिया ने कसा तंज।
नरोत्तम बोले-सरपरस्तों को ज्यादा तकलीफ
वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि सब जानते हैं कौन है प्रदेश में शराब माफिया का सरपरस्त। उन्होंने कहा कि उन्हें ही ज्यादा तकलीफ हो रही है, जो शराब माफिया के सरपरस्त हैं।

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