नई दिल्ली। भगवान श्रीराम को वनवास से अयोध्या लौटने में भले ही 14 वर्ष लगे हों, लेकिन श्रीराम की जन्मभूमि में मंदिर बनने में लगभग 500 वर्ष लग गए। इतने लंबे इंतजार के बाद आखिर श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य राममंदिर बनने जा रहा है। 5 दशक के लंबे समय में श्रीराम जन्मभूमि के लिए न जाने कितने लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी, लंबी लड़ाई लड़ी। न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं। जनआस्था के इस मुद्दे पर राजनीति भी बहुत हुई। लेकिन देशवासियों ने सौहाद्र्रपूर्वक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को माना। वैसे तो रामलला के लिए आजादी से पहले ही संघर्ष शुरू हो गया था। आजाद भारत में भी यह मुद्दा गर्म रहा। 90 के दशक में विश्व हिंदू परिषद ने राममंदिर निर्माण का बीड़ा उठाया। भाजपा ने भी इसे मुद्दा बनाया और रथयात्रा निकाली। लेकिन दोनों समुदाय टस से मस नहीं हुए। हिंदू उसी जगह पर राममंदिर बनाने अड़े रहे, तो मुसलमान भी मस्जिद का अस्तित्व बचाने में जुटे रहे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के बाद क्षणिक खुशी मिली, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। चुनावों में भी यह मुद्दा खूब उछला। विपक्षी दल हमेशा कहते रहे कि मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे। कहते हैं अंत भला तो सब भला। अब विपक्षी दलों के मुंह पर ताला लग गया है। भव्य राममंदिर आने वाले 3 साल में बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश से लोग अपनी क्षमता अनुसार दान दे रहे हैं। स्थिति यह है कि उम्मीद से कहीं ज्यादा दान मिल रहा है। कई जगहों पर मुसलमान भी राममंदिर के लिए समर्पण निधि दे रहे हैं। आने वाले समय में जब मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा, तो राम की नगरी अयोध्या पूरे देश और विश्व के लिए अध्यात्म नगरी साबित होगी।
मैं अयोध्या हूं.. जन्मभूमि में मंदिर बनने में लगभग 500 वर्ष लग गए
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