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नाथ के बाद गोविंद.. कितनी बदलेगी कांग्रेस, भाजपा भी 2023 की बिसात में जुटी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने दिया नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने पिछले दिनों बयान दिया था कि मैं विधानसभा में इसलिए नहीं जाता क्योंकि वहां भाजपा नेता बकवास करते हैं। क्या मैं उनकी बकवास सुनने के लिए जाऊंगा। मुझे दिनभर में 200 लोगों से मिलना पड़ता है। इसलिए विधानसभा में कम जाता हूं। उनके इस बयान पर बवाल हुआ और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ का विधानसभा की कार्यवाही को बकवास कहने पर उन्हें आड़े हाथों लिया। नरोत्तम ने तो कमलनाथ के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का मामला लेकर आने की बात कही और इसकी शिकायत विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम तक पहुंच गई। उन्होंने भी कार्रवाई करने की बात कही। बहरहाल इसी बीच कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिया और डॉ. गोविंद सिंह की ताजपोशी हो गई। अब सवाल यह है कि गोविंद सिंह के आने से क्या बदलेगा? क्या कमलनाथ पूरी ताकत से कांग्रेस को भाजपा के विरूद्ध खड़ा कर पाएंगे?
ये समीकरण बनेंगे
डॉ. गोविंद सिंह को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है। ऐसे में दिग्विजय सिंह का प्रदेश की राजनीति में दखल मजबूत होगा। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का दबदबा रहेगा और वही मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी होंगे। ऐसे में सदन में कांग्रेस गोविंद सिंह की अगुवाई में हमलावर रहेगी। भले ही 18 महीने तक वे इस पद पर रहेंगे, लेकिन इससे कमलनाथ को संगठन को मजबूत करने का अवसर मिलेगा। कांग्रेस के इस कदम से कमलनाथ के बयान पर घेरने का अवसर भाजपा को नहीं मिल पाएगा। यानि सदन में गोविंद सिंह और संगठन में कमलनाथ की ही चलेगी।
भाजपा पर यह असर
डॉ. गोविंद सिंह ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से आते हैं और लोहार विधानसभा से विधायक हैं। ऐसे में गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के लिए भी वे चुनौती बन सकते हैं। साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को काउंटर करने के लिए भी उनकी नियुक्ति अहम बन सकती है। फिलहाल तो भाजपा को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन कांग्रेस जरूर इसका फायदा उठाने का अवसर नहीं छोड़ेगी।
भाजपा की तैयारियां तेज
2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रदेश में संगठन सक्रिय है। दिल्ली में भी बैठकों और मेल-मिलाप का दौर जारी है। हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में नरोत्तम मिश्रा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय शामिल हुए। ऐसे में आने वाले समय में चुनाव और मुख्यमंत्री पद की रस्साकशी भी देखने को मिल सकती है। हालांकि भाजपा में केंद्रीय नेतृत्व यानि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की ही चलती है। वे जिसे चाहें उसे प्रदेश का मुखिया बना सकते हैं। हालांकि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की पकड़ और सर्वव्यापी छवि से उम्मीद यही है कि वही चेहरा भी होंगे और कमान भी वही संभालेंगे। लेकिन आने वाले वक्त पर राजनीति क्या करवट लेती है,

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