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मकर संक्रांति पर गोशाला में आश्रय प्राप्त गोमाता को खिलाएं दाल को और गुड़, ये भी हमारी परिवार की हैं सदस्य

जबलपुर। म.प्र.गोसंवर्द्धन बोर्ड कार्यपरिषद् के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि मकर संक्रांति पर हम स्वयं भी और हमारी प्रेरणा से हमारे परिवार के सदस्य और इष्ट-मित्रगण अपने क्षेत्र की निकटतम् गोशाला में अवश्य जाएं, समय सुबह से लेकर दोपहर तक का अपनी सुविधानुसार कोई भी हो सकता है। करना ये है कि हम आज ही रात्रि में एक किलो चने की दाल लेकर उसे पानी में भिगो दें। प्रात: उस भीगी हुई दाल को किसी बाँस की टोकरी में डालें पानी अपने घर के बगीचे में डाल दें। दाल में कम से कम दो किलो गुड़ की छोटी-छोटी डल्लियाँ (टुकड़े) डालकर गोशाला में पहुँचकर उस दाल को और गुड़ को गोशाला में आश्रय प्राप्त गोमाता (गोवंश-गो संतानों, बछड़े-बछडिय़ों) को खिला दें। गाय और उसकी संतानें हमारे परिवार के सदस्य हैं।
उन्होंने मकर संक्रांति पर्व के पुनीत सुअवसर की सभी को अनंत शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि भारतीय साँस्कृतिक एवं धार्मिक पर्वों में दान देने एवं पुण्य कर्मों के माध्यम से सत्कर्म के बीज बोने का हम आप उपक्रम करते हैं, जिसका सुफल हमें भविष्य में मिलता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भारतीय पर्व पम्पराओं के महत्त्व की वैज्ञानिकता का उल्लेख मिलता है। इन पर्वों पर पवित्र सरिताओं में स्नान, तदुपरान्त धर्मानुष्ठान पश्चात् दान के महत्त्व को भी हमारे ऋषि – मुनियों ने युक्ति, तर्क और शास्त्रीय प्रमाण आदि से रेखांकित किया है। हम इसी आधार पर भारतीय प्राचीन पर्व परम्पराओं का आदर करते हैं, पर्वों के महत्त्व को निरूपित करने वाले भारतीय संस्कृति के पुरोधा ऋषि-मुनि, महर्षियों का भी अभिनंदन करते हैं तथा हमारे पूर्वजों ने इस पर्व परम्परा को आज तक जीवित रखकर उसे अक्षुण्ण बनाया है। आज की वर्तमान पीढ़ी में भी पर्व परम्परा के संस्कार विलुप्त न हो जायें, युवा मानस पटल पर विस्मरण की चादर न पडऩे पाये इस हेतु उनमें भारतीय पर्वों के प्रति उत्साह बनायें रखने के लिये पर्वों में किये जाने वाले सत्कार्यों का बीज वपन करना हमारा दायित्त्व है; इस दायित्त्व बोध के साथ, “मैं आपके इस समन्वय साधना पेज” का आश्रय लेकर अपने मनोगत् को प्रकट कर रहा हू्ँ तथा अपेक्षा करता हू्ँ कि, कल “मकर संक्रांति” के पर्व पर एक छोटा सा कार्य करें, इस विश्वास के साथ कि, स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्.. धर्म का एक छोटा सा आचरण हमारे भविष्य के महान् भय से हमारी रक्षा करने में हमारी सहायता करता है। पर्वों पर उनकी उपेक्षा हमारे द्वारा कदापि न हो, यह प्रेरणा जागरण भी हमारा आपका पुनीत दायित्व है। इसी दायित्व बोध के आधार पर मैं आप सभी को एक छोटे से सत्कर्म के लिये प्रेरित कर रहा हूँ।

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