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सरकारी स्कूलों में बच्चों का अकाल..5 बच्चों को पढ़ाने के लिए 2 शिक्षक

जबलपुर। जिले के पनागर के हरदुआ प्राथमिक शाला के बुरे हाल हैं। यहां कक्षा पहली में 3, कक्षा दूसरी में 1, तीसरी में शून्य, चौथी में एक और पांचवीं में शून्य बच्चे हैं। यानी पूरे स्कूल में कुल 5 विद्यार्थी हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए 2 शिक्षक हैं। हैरत की बात यह है कि इनका वेतन महीने में करीब एक लाख रूपए है। स्कूल के हालात से साफ नजर आ रहा है कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चे लगातार घटते जा रहे हैं। हरदुआ प्राथमिक स्कूल में हालत यह हैं कि 5 बच्चों में महज 2 बच्चे ही आए थे। जब शिक्षिका उषा राजपूत 11 बजे स्कूल पहुंचीं, तब जाकर ताला खुला और साफ-सफाई हुई। जब उनसे लेट आने की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि आज घर में पूजा थी, इसलिए बच्चे भी देरी से आए और वे भी देरी से पहुंचीं। स्कूल में जबलपुर में रहने वाली एक शिक्षिका सुनीता चौधरी भी पदस्थ हैं, लेकिन वे नदारद मिलीं। बहरहाल दो बच्चियां नीचे बैठकर बस्ता खोलकर किताब पलटने लगीं और मैडम के हाव-भाव ऐसे लगे जैसे कभी यह स्कूल खुलता ही नहीं।
हरदुआ प्राथमिक शाला की तरह बेलखाडू के स्कूल की हालत नजर आई। यहां 12 बजे ताला लटका मिला। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल हैं और प्राइवेट स्कूल फल फूल रहे हैं। न सरकार की सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की सोच है और न ही शिक्षक पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं। उन्हें तो बस महीने के वेतन का इंतजार रहता है। ऐसे में इन स्कूलों में जितने का ढोल नहीं उतने का मंजीरा जैसे हालात नजर आ रहे हैं।

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