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आयुष्मान में फर्जीवाड़ा जानकर खुली रह जाएंगी आंखें.. हास्पिटल की संचालिका दुहिता पाठक व डॉ. अश्वनी कुमार पाठक गिरफ्तार

जबलपुर। 26 अगस्त को सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल के बाजू में स्थित बेगा होटल में आयुष्मान कार्ड धरियों को भर्ती किया गया था। हैरत की बात तो यह है कि इनमें से कोई भी मरीज में विशेष गंभीर बीमारी नहीं था। इस तरह आयुष्मान कार्ड का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने पुलिस को भेजकर कार्रवाई करवाई और सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा को अवगत कराया गया। पुलिस ने अस्पताल की संचालक दुहिता पाठक व डॉ. अश्वनी कुमार पाठक को गिरफ्तार कर लिया है।
थाना लार्डगंज में 28 अगस्त को डाक्टर धीरज दबडे द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी का लिखित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। बताया गया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर द्वारा स्वयं के नेतृत्व में डॉ. धीरज दबड़े नोडल अधिकारी आयुष्मान स्थानीय कार्यालय जबलपुर, डॉ. पंकज ग्रोवर आरएमओ जिला चिकित्सालय जबलपुर, डॉ. आदर्श विश्नोई नोडल अधिकारी नर्सिंग होम स्थानीय कार्यालय जबलपुर व भुवनमोहन साहू डिस्ट्रिक आयुष्मान कोआर्डिनेटर की टीम गठित कर होटल वेगा का निरीक्षण किया गया। अस्पताल की संचालिका दुहिता पाठक हैं तथा आनलाईन अस्पताल के आवेदन के अनुसार अस्पताल के रजिस्ट्रर्ड रेसिडेंट मेडिकल प्रेक्टीशनर डॉ. अश्विनी पाठक हैं।
12 मरीजों में ज्यादातर उल्टी-दस्त व पेटदर्द के मरीज
डॉ. पंकज ग्रोवर आरएमओ की प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार होटल वेगा का प्रथम तल (एचडीयू) के रूप में संचालित था, जिसमें 12 मरीज आयुष्मान योजनान्तर्गत भर्ती थे। इनमें से दो संदिग्ध मरीजों की प्राथमिक जांच कर, विडियो बनाकर जानकारी ली गई। भर्ती मरीज श्रीमती एलियन बाई के द्वारा बताया गया कि उसे दिनांक 25.08.2022 को उल्टी दस्त एव पेट दर्द के कारण भर्ती किया गया है, जबकि आयुष्मान योजना के अंतर्गत भर्ती बताया गया है । भर्ती मरीज श्रीमती मधु बाई के द्वारा बताया गया कि उनको दिनांक बुधवार को पेट दर्द एवं उल्टी के कारण भर्ती किया गया है। मरीज से संबंधित फाईल मांगने पर उक्त मरीज की फाईल उपलब्ध नहीं कराई गई है । भर्ती मरीज गुड्डा ठाकुर निवासी माढ़ोताल के द्वारा बताया गया कि उनको मामूली पेट दर्द एवं पसली दर्द होने पर दिनांक भर्ती किया गया है। मरीज के अनुसार उसको कोई उल्टी-दस्त एवं बेहोशी नहीं हुई है और न ही किसी जगह से रक्त स्त्राव हुआ। मरीज को गंभीर निर्जलीकरण के साथ बेहोश होना बताया गया है व डॉ. एस भगत द्वारा देखा गया है। लेकिन मरीज के अनुसार उसे किसी भी डाक्टर द्वारा नहीं देखा गया है। मरीज महेन्द्र नायक रैकवार निवासी गढ़ा फाटक उम्र लगभग 65 वर्ष के द्वारा बताया गया कि उसें पेट में दर्द एवं गैस की शिकायत थी एवं बीपी-शुगर की कोई समस्या नहीं थी, वह आयुष्मान कार्डधारक है और पहली बार भर्ती हुआ है। उक्त मरीज की फाईल के अवलोकन पर उसे बढ़े हुये बीपी, सिर दर्द, हाथ-पैर दर्द, उल्टी, चक्कर के साथ भर्ती किया गया है। मरीज को इन चार दिन में लगभग 12 आईव्ही फ्लूड लगने का उल्लेख है, लेकिन मरीज से पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें चार दिन में अभी तक एक बाटल लगी है एवं उनको कोई उल्टी नहीं हुई है। दिन में एक या दो दवाई दी जा रही है । डॉ. धीरज दबड़े नोडल अधिकारी आयुष्मान स्थानीय कार्यालय की प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार होटल वेगा के तृतीय तल के रूमों में कुल 10 मरीज शाम 5 बजे दबिश पर निरीक्षण में भर्ती पाये गये थे। किन्तु रात्रि 9.30 बजे होटल के तृतीय तल में कोई भी मरीज नहीं मिला एवं सभी कमरे लाक थे।

ये फर्जीवाड़ा हुआ
-अस्पताल की फाइल में लिखित डायग्नोसिस एवं मरीज के द्वारा बताये गये लक्ष्ण भिन्न-भिन्न है, जिससे प्रतीत होता है कि मरीज की फाईल में अंकित किया गया डायग्नोसिस एवं मरीज द्वारा बताया गया प्राप्त उपचार तथा फाईल में लिखित उपचार विवरण में भी भिन्नता है जो कि प्रथम दृष्टया कूटरचित प्रतीत होता है।
-शाम 5.00 बजे डॉ. धीरज दबड़े द्वारा निरीक्षण किया गया था तो उस समय में प्रथम तल द्वितीय एवं तृतीय तलों पर कुल 30 मरीज भर्ती पाये गये थे। किन्तु रात्रि 9.30 बजे होटल वेगा में तृतीय तल के कमरों में कोई भी मरीज नहीं मिला एवं कमरों में ताले लगे थे।
-होटल का उपयोग अवैधानिक रूप से हास्पिटल के रूप में किया जा रहा था । जिसका कोई भी पंजीयन म.प्र. रूजोपचार्य गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 एवं नियम 1997 के अंतर्गत नहीं कराया गया था। साथ ही उक्त स्थान पर बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन के नियमों का पालन भी नहीं किया गया था।
-मरीजों की फाइल में लगी हुई पैथालाजी रिपोर्ट में लेब डायरेक्टर के रूप में डॉ. वंदना खन्ना डीसीपी के डिजीटल साईन लगाये गये हैं। हस्ताक्षर के संबंध में कार्यालय द्वारा जानकारी ली गई, तो डाँ. वंदना खन्ना द्वारा लिखित में पत्र प्रेषित किया गया है जिसमें उन्होंने उक्त लेब से संबंधित होने से इंकार किया है अर्थात यह रिपोर्ट भी फर्जी/कूटरचित मानी गई।
-मरीजों की फाइल में लगी हुई पैथालाजी रिपोर्ट में कंसल्टिंग पैथालाजिस्ट के रूप में डॉ. संजय तोतडे डीसीपी के डिजीटल साईन लगाये गये हैं । हस्ताक्षर के संबंध में कार्यालय द्वारा जानकारी ली गई, तो डॉ. संजय तोतडे द्वारा लिखित में सूचित किया गया है कि उक्त लैब से अप्रैल 2020 से अपनी सेवायें न देने का पत्र दिया है अर्थात यह रिपोर्ट भी फर्जी/कूटरचित है।
-मरीजों की फाइल में डॉ. संदीप भगत द्वारा मरीजों को देखने का उल्लेख किया गया है तत्संबंध में डाँ. संदीप भगत को कार्यालय द्वारा जानकारी ली गई, तो डाँ. संदीप भगत द्वारा लिखित में सूचित किया गया है कि उन्होंने उक्त हास्पिटल पिछले अगस्त 2021 से अपनी सेवायें न दे पाने का पत्र दिया है। अर्थात डॉ. एस. भगत अंकित किया जाना भी फर्जी/कूटरचित प्रतीत होता है।
-होटल में भर्ती मरीजों की फाइल पर सेन्ट्रल इंडिया किडनी हास्पिटल का नाम अंकित है तथा फाइलों में वर्णित देखने वाले जिन चिकित्सकों का नाम अंकित है उनके द्वारा मरीजों को नहीं देखा जाना पाया गया है।
इन धाराओं के तहत कार्रवाई
जांच प्रतिवेदन के अवलोकन पर डॉ. अश्वनी कुमार पाठक व श्रीमती दुहिता पाठक के विरूद्ध अपराध क्रमंाक 507/2022 धारा 419, 420, 467, 468, 471, 474, 34 भादवि एवं धारा 8, 8ए, 9, 10 मध्य प्रदेश उपचारगृह तथा रुजोपचार संबंधी स्थापनाये (रजिस्ट्रीकर तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 एवं नियम 1997 संशोधन अधिनियम 2008 के अपराध पंजीबद्ध किया गया है। सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल के डॉ. अश्विनी कुमार पाठक उम्र 58 वर्ष एवं हॉस्पिटल की संचालिका श्रीमति दुहिता पाठक पति डॉ. अश्वनी कुमार पाठक उम्र 48 वर्ष निवासी 1572 राईट टाउन को अभिरक्षा में लिया गया है। पुलिस मामले की विस्तृत विवेचना कर रही है।

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