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बरगी बांध के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दिया, अब रोटी के लिए दांव पर लगा रहे जान..!

जबलपुर। मां नर्मदा प्रदेश की जीवनदायिनी है, तो बरगी बांध प्रदेश की प्यास बुझाने के साथ खेतों में हरियाली भी ला रहा है। प्रदेश के विकास के लिए इसी बरगी बांध के लिए क्षेत्र के लोगों ने सबकुछ न्यौछावर कर दिया। अपनी जमीन, अपना गांव सबकुछ समर्पित कर दिया। लेकिन अब उन विस्थापितों की सुनने वाला कोई नहीं है। हालत यह हैं कि दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें बरगी बांध की लहरों से खेलना पड़ रहा है। यह दर्द है बरगी बांध के विस्थापित गांव बीजासेन के लोगों का। उन्हें राशन लेने के लिएि बगदरी की राशन दुकान जाना पड़ता है। ऐसे में वे 7 किलोमीटर का सफर नाव के सहारे तय करते हैं। नाव में बैठकर पन्नी लगाते हैं, ताकि राशन गीला न हो और फिर बरगी बांध की ऊंची-ऊंची लहरों को पार कर बगदरी जाते हैं और फिर वापस आते हैं। प्रशासन से उन्होंने कई बार फरियाद लगाई। सिवनी कलेक्टर और जबलपुर संभागीय कमिश्नर से भी गुहार लगाई, लेकिन सब बेकार। किसी ने उनकी एक न सुनी।
ग्रामीण पूछ रहे-हमार कसूर क्या है
बीजासेन निवासी कुछ युवक हाल ही बरसते पानी में नाव के सहारे बरगी बांध को पार करते नजर आए। इनमें से एक युवक ने उनका वीडियो बनाया। जिसमें यह सवाल पूछा कि जिस प्रदेश के विकास के लिए हमने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। बांध के लिए जमीन खोई, अपना घर-बार छोड़ा, आखिर बदले में क्या मिला। सिवनी कलेक्टर से 17 अगस्त को दूसरे वैकल्पिक रास्ते की खोज की गुहार लगाई, लेकिन साहब ने उनकी एक न सुनी। ये लोग जबलपुर कमिश्नर से भी गुहार लगा चुके, लेकिन लगता है कि प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है।
जिस अथाह जलसागर को देखते ही रूह कांप जाए, उसी को करते हैं पार
हम में से अधिकांश लोगों ने बरगी बांध का विहंगम नजारा देखा हो। जहां तक नजर जाए, वहां तक अथाह जलसागर नजर आताा है। ऐसे में आम आदमी की इस जलसागर को देखते ही रूह कांप जाती है। लेकिन पेट की भूख मिटाने के लिए बीजासेन के युवक इस अथाह जलसागर को भी चुनौती देते नजर आते हैं। वे अपनी जान पर खेलकर बरगी बांध को पार करते हैं और दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी कर लेते हैं।
सिवनी-जबलपुर के बीच झूल रहे ग्रामीण
बरगी बांध से लगा हुआ काफी हिस्सा सिवनी जिले में आता है। जबकि यहां से जबलपुर की दूरी बेहद कम है। ऐसे में अपनी समस्याओं के लिए ग्रामीणों को सिवनी जाना पड़ता है, जो कि ज्यादा दूरी पर है। ऐसे में जबलपुर में इनकी सुनवाई नहीं होती। सिवनी जाओ तो वहां का प्रशासन परायों की तरह व्यवहार करता है। ऐसे में कमिश्नर चाहें तो उनकी समस्या हल कर सकते हैं, क्योंकि वे पूरे संभाग के मुखिया हैं। लेकिन लगता है कि ग्रामीणों की इस गंभीर समस्या पर कोई भी गंभीर नहीं है।
क्या हादसे के इंतजार में है शासन-प्रशासन
बरगी बांध के विस्थापित बीजासेन गांव के लोग अनाज के लिए बरगी बांध के अथाह जल के बीच तेज धारा में नाव के सहारे 7 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। बरसते पानी के बीच उन्हें नाव चलाकर राशन लेने दूसरे गांव जाता पड़ता है। ऐसे में उनकी जान का जोखिम तो है ही, क्योंकि बारिश के सीजन में जलभराव क्षेत्रों से लगातार पानी बरगी बांध में आता है। ऐसे में क्या प्रशासन किसी हादसे के इंतजार में है। तभी शायद प्रशासन की कुुंभकर्णी नींद खुलेगी।

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