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8 माह बाद भी मप्र सरकार ने तेंदुआ संरक्षण की कार्य योजना नहीं बनाई

जबलपुर। 26 जुलाई 2021 को माननीय उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश श्री प्रकाश श्रीवास्तव एवं माननीय न्यायाधीश श्री वीरेंद्र सिंह की बेंच द्वारा मध्य प्रदेश के चीफ कंजरवेटर आफ फॉरेस्ट को यह निर्देश दिया था कि 8 सप्ताह के अंदर प्रदेश में तेंदुआ के संरक्षण हेतु एक क्विक एक्शन प्लान बनाया जाए। परंतु 8 माह व्यतीत होने के पश्चात भी अभी तक मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तेंदुआ संरक्षण हेतु कोई भी कार्य योजना नहीं बनाई गई है यह हाईकोर्ट के आदेश का स्पष्ट अवमानना है।
मनीष शर्मा प्रांतीय संयोजक नागरिक उपभोक्ता मंच द्वारा एक जनहित याचिका विगत वर्ष माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर कर मध्यप्रदेश में तेंदुए के हो रहे अवैध शिकार रोकने एवं संरक्षण हेतु कार्य योजना लागू करने की मांग की गई थी। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर याचिका दायर करते हुए मनीष शर्मा ने बताएं की विगत 10 वर्षों में प्रदेश में 405 तेंदुए की मृत्यु हुई जिसमें से लगभग 50त्न तेंदुआ का अवैध शिकार किया गया वही सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार तेंदुआ की आबादी में विगत कुछ वर्षों में 90त्न तक की कमी आई है। याचिकाकर्ता ने बताया की माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार 30 जुलाई 2021 को दस्तावेजों तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के साथ अभ्यावेदन चीफ कंजरवेटर आफ फॉरेस्ट मध्य प्रदेश को भेजा जा चुका उसके पश्चात एक रिमाइंडर भी भेजा गया था परंतु आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई अत: याचिकाकर्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना मानते हुए अवमानना नोटिस जारी किया ,नोटिस प्राप्ति के 15 दिवस के अंदर यदि कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती ऐसी स्थिति में माननीय उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की जाएगी ।
ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मामले हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का मामला। हाई कोर्ट में हुई सुनवाई। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से विशेष अधिवक्ता ने रखा पक्ष। कोर्ट में रखा गया संसद द्वारा संशोधित नियम। कहा-50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा संसद द्वारा खत्म कर दी गई। ओबीसी आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में सैकड़ों याचिकाएं विचाराधीन हैं। लिहाजा मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण स्टे नहीं किया जा सकता। मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

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