जबलपुर। जिले के शहपुरा भिटौनी बिजली कार्यालय में आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से लाइनमैन हेल्पर के रूप में काम कर रहे मनोज सिंह के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। पहले उसे सर्प ने काटा जिससे वह कई महीनों पलंग पर पड़ रहा। जब थोड़ा ठीक हुआ तो उसे अब नौकरी से हाथ धोना पड़ा और जब उसने नौकरी से अलग करने का कारण जानना चाहा तो उसके ऊपर आरोपों की झड़ी लगा दी गई। दो मासूम बच्चियों का पिता अब क्या करता। लिहाजा शहपुरा विद्युत विभाग के कार्यालय के चक्कर लगाते लगाते जब उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो परिवार समेत बिजली ऑफिस पहुंच गया और कहा कि मुझे नौकरी दो नहीं तो मैं अपने परिवार को यहीं पर खत्म कर दूंगा और स्वयं भी मर जाऊंगा। उसका कहना है कि जब मैं अपने परिवार को दो रोटी नहीं खिला सकता तो मुझे जीने का हक नहीं।
केरोसिन लेकर पहुंचा पीडि़त
केरोसिन लेकर पहुंचे कर्मचारी को देख कर अधिकारी भी सकते में आ गए। यहां पर पदस्थ कनिष्ठ अभियंता पवन कुमार यादव के साथ लाइनमैन हेल्पर मनोज कुमार सिंह और उसकी पत्नी के साथ काफी वाद विवाद हुआ लेकिन अधिकारी का मन नहीं पसीजा। प्राइवेट कंपनी द्वारा पदस्थ लाइनमैन हेल्पर मनोज सिंह अपनी रोजी-रोटी छिन जाने से परेशान होकर मनोज सिंह ने बताया कि गत माह मुझे सर्प ने काटा था। सर्प के काटने के बाद मुझे हॉस्पिटल मैं एडमिट किया गया। 10 दिन तक इलाज चलने के बाद मैं स्वस्थ होकर मेडिकल सर्टिफिकेट लेकर विद्युत विभाग के अधिकारियों के पास पहुंचा जहां पर मेरा सर्टिफिकेट फाड़ दिया गया और कंपनी से बिना वजह निकाल दिया। पीडि़त की पत्नी अपने बच्चो के साथ भी यहाँ पहुँची थी जिसने अपना दर्द बताया।
अधिकारियों का अपना तर्क
इस पूरे मामले पर बिजली अधिकारी ने बताया कि सर्प काटने की जानकारी उनको मिल गई थी, लेकिन उसके बाद भी वह बीमारी का बहाना करता था। आए दिन गोल मारता था और फील्ड पर जाने के बाद पता चला कि इसने कई लोगों से बिल के नाम पैसे वसूले थे, लेकिन उनका बिल जमा नहीं करता था। इस कारण से उसे नौकरी से निकालना पड़ा। कार्यालय में काफी देर तक वाद विवाद होता रहा अधिकारी अपना तर्क देते रहे। कर्मचारी अपना तर्क लेकिन कोई भी रिजल्ट इस विवाद का नहीं निकल पाया। लेकिन सवाल यही उठा कि जब लोगों को नौकरी की जरूरत है और अधिकारी उसको नौकरी पर रख भी सकते हैं तो उसको क्यों भटकाया जा रहा है। जाहिर सी बात है वह गरीब है लिहाजा नौकरी की मांग कर रहा है। ऐसे में उसकी फरियाद सुनी जानी चाहिए लेकिन अधिकारी अपनी अकड़ पर ही रहे और उसको निराश होकर घर अभी वापस आना पड़ा। लेकिन वह अभी भी संघर्ष करने के लिए तैयार है।
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