देश में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की कवायद, लेकिन गौशाला के हैं बुरे हाल
जबलपुर। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने प्रदेश की ग्राम पंचायतों में गौशाला बनाने का प्रस्ताव पास किया था और ग्राम पंचायतों में गौशाला का निर्माण भी हो गया। लेकिन आज उसी गौशाला में कैद गाय को मिलने वाली सुविधाएं नदारद हैं जिससे गायें गौशाला में दम तोडऩे को मजबूर हैं। ऐसी ही एक गौशाला जबलपुर के ग्राम सहजपुर में में हमारी टीम पहुँची तो देखा कि गौशाला अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।
वहीं जिम्मेदार अपनी आंखें बंद किये बैठे हैं। जबलपुर के जनपद शहपुरा की ग्राम पंचायत सहजपुर बरखेड़ा के सिद्धवन में बनी गौशाला की दीवारों पर लिखी ये पंक्तियां ..गाय के वंश से भूमि हंसती सदा, गाय में राष्ट्र की शान बसती सदा.. धरातल पर नजर नही आती। इस गौशाला में गायें अपनी बदहाली की कहानी खुद बया कर रही हैं। गौशाला में कैद गायों को खाने के लिए भूसा-चारा तक नसीब नहीं हो रहा है जिससे गाय बीमार हो रही हैं। जनपद में पशु डॉक्टर तो हैं लेकिन वे भी ग्राम पंचायत के घने जंगलों में बनी गौशाला में जाने से परहेज करते हैं। यही वजह है कि गौशाला में कैद कई गायों की मौत हो गई है, तो कई गायें मरने की कगार पर हैं। गायें कचरे के ढेर में पन्नियां खाने मजबूर हैं। ये हाल तब है, जब देश में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात चल रही है।
गौमाता की सुरक्षा करने का जिम्मा कांग्रेस सरकार ने उठाया था। तब लगा था कि गौमाता के हाल-बेहाल नहीं होंगे लेकिन सरकार बदली और तस्वीर भी बदल गई। कांग्रेस से बरगी विधायक विधायक संजय यादव का साफ कहना है कि वर्तमान सरकार गायों की ओर ध्यान नहीं दे रही है, जिससे यह हाल हो गया है।
यह हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश
इलाहाबाद कोर्ट ने कहा कि गायों की सुरक्षा को हिंदुओं मौलिक अधिकार में शामिल किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट के मुताबिक गायों को किसी एक धर्म के दायरे में नहीं बांधा जा सकता। यह भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। अपनी संस्कृति को बचाना हर भारतवासी की जिम्मेदारी है। जाहिर सी बात है अगर इस दिशा में आगे बढ़ा जाए तो वास्तविक रूप से हम गौमाता की सुरक्षा कर पाएंगे, लेकिन इसमें जनता के साथ सरकार भी जिम्मेदारी बनती है, जिसका अभाव अभी नजर आ रहा है।