Homeमध्यप्रदेशप्रदेश के दो दिग्गजों पर नकेल, नरेन्द्र सिंह तोमर पर पूरा 'खेल'

प्रदेश के दो दिग्गजों पर नकेल, नरेन्द्र सिंह तोमर पर पूरा ‘खेल’

  • शिवराज-महाराज को अमित शाह ने दिखाया आइना
  • पुराने नेताओं को साधने हाईकमान का बड़ा गेम

भोपाल। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अचानक ही बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है। उन्हें चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाकर बीजेपी हाईकमान ने एक तरह से सीएम शिवराज और ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को हद में रहने के लिए आइना भी दिखा दिया है। चुनाव तक पार्टी किसी भी बड़े नेता को नाराज नहीं करना चाहती है। यही वजह है कि हटाने के खेल से होने वाले नुकसान से बचने के लिए पार्टी ने तीसरा रास्ता निकाल लिया है। तोमर पर चुनाव में सभी निर्णय हाईकमान के मार्गदर्शन में लेने की जवाबदारी है। शिवराज के लगभग 18 साल के कार्यकाल में क्षेत्रीय स्तर पर कई वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगाया गया है। इसे शिवराज के महत्त्वाकांक्षी होने के रूप में भी देखा जाने लगा था। इससे पार्टी के भीतर ही असंतोष उभरना आरंभ हो गया है। जिस तरह से कई नेताओं को शिवराज ने किनारे लगाया,वह बताता है कि शिवराज अपने किसी भी प्रतिद्वंद्वी को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते थे। इस खेल में शिवराज का निजी फायदा हुआ और सीएम केंडिडेट के रूप में दूसरा दावेदार उन्होंने नहीं पनपने दिया। लेकिन पार्टी से एक बड़ा तबका अंदरूनी रूप से नाराज़ होते गया। पिछड़ों का सबसे बड़ा चेहरा- नेता बनने के चक्कर में शिवराज ने भाजपा से बड़े वर्ग को भी दूरी बनाने पर विवश कर दिया। इन्हीं सब बातों पर केन्द्रीय नेतृत्व ने मंथन करके ही संतुलित रास्ता निकाला है।

तोमर साथ सभी का लेते हैं मगर बताते नहीं-

नरेन्द्र सिंह तोमर साथ तो सभी का लेते हैं मगर किसी को यह आभास नहीं होने देते हैं कि वे किसके साथ हैं और किसके साथ नहीं। तोमर को हासिए पर ढेकेलने की चाणक्य नीति के तहत ही 10 साल पहले नरेंद्र सिंह तोमर को शिवराज मंत्रिमंडल से रुखसत करके प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी तभी यह तय हो गया था तोमर आगे जाकर शिवराज के सीएम बने रहने में विराम लगने का कारण बन सकते हैं। बाद में उन्हें केन्द्र में सक्रिय किया गया। ऐसा ही कुछ कैलाश विजयवर्गीय के साथ हुआ। नरेन्द्र सिंह तोमर अपने साथ हुए बर्ताव को मन में सहेजे होंगे और समय आने पर वे शिवराज को किनारे लगाने का बड़ा कारण भी बन सकते हैं। कमोवेश ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी नरेंद्र सिंह तोमर फूटी आंखों नहीं सुहाते हैं। स्वभावत: नरेन्द्र सिंह तोमर कभी नहीं चाहेंगे कि ग्वालियर -चंबल संभाग में अपने पुराने राजनीतिक दुश्मन को पार्टी में महत्व मिल सके। लेकिन यह सब नरेंद्र सिंह तोमर कभी उजागर नहीं करते बल्कि सभी को साथ लेकर चलने का प्रदर्शन अवश्य करते हैं। तोमर को बड़ी जिम्मेदारी मिलने से पुराने बड़े उन नेताओं को जैसे संजीवनी सी मिल गई है जो शिवराज के कारण नेपथ्य में ढकेल दिए गए थे।

प्रदेश की लीडरशिप अब नरेंद्र के इर्द-गिर्द घूमेगी-

भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने नरेंद्र सिंह तोमर को एक तरह से चुनाव जितवाने का पूरा जिम्मा सौंप दिया है। यानी प्रदेश स्तर पर भाजपा की राजनीति का केन्द्र नरेन्द्र सिंह तोमर ही बने रहेंगे। हाईकमान को वे जैसा फीडबैक देंगे उसी के आधार पर रणनीति बनेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अब नाम के पदधारी रहेंगे,चलेगी अब नरेंद्र सिंह तोमर की ही। यानी अब शिवराज अपने चहेतों की टीम नहीं बना पाएंगे।

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