अपनी मर्जी का मालिक कोरोना.. बड़ा सवाल क्या आएगी चौथी लहर..?

डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रोन ने पहुंचाया कम नुकसान, सरकारों ने ली राहत की सांस
भोपाल। पहली लहर, दूसरी लहर और अब तीसरी लहर भी आ गई। ये बात तो तय है कि कोरोना अपनी मर्जी का मालिक है। उसे जब आना होता है, आता है और जब जाना होता है.. जाता है। न तो उस पर सरकारों का बस है और न ही पाबंदियों की फिक्र है। लहरों का समय होता है, उसके मुताबिक ही वह फैलता है। कोरोना को चुनावों से भी कोई मतलब नहीं है। अगर पीक गुजर गया तो भीड़ में भी कोरोना किसी को नहीं सताता। हाल ही में नर्मदा जयंती में भीड़ लगी, शादियों में हुजूम उमड़ रहा है और चुनाव तो सिर पर हैं ही। लेकिन इसके बाद भी कोरोना की तीसरी लहर वह तबाही नहीं मचा पाई.. जो तबाही दूसरी लहर में मची थी। तीसरी लहर में राहत की बात यह रही कि गंभीर मरीज अस्पतालों तक नहीं पहुंचे। इससे सरकारों ने भी राहत की सांस ली और जनता भी अस्पतालों में लुटने से बच गई। लेकिन जनाब.. कोरोना यहीं थमने वाला नहीं है। अभी चौथी लहर का खतरा कुछ दिनों बाद मंडरा सकता है। ऐसे में जब कोरोना की तीसरी लहर ढलान पर है, तो लोग भी चिंतामुक्त हो चुके हैं।
चौथी लहर पर कयासों का दौर, लेकिन तय आएगी जरूर
अमेरिका सहित कई देशों में कोरोना की चौथी और पांचवीं लहर तक आ चुकी है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत में भी कोरोना की चौथी लहर आएगा। हालांकि यह कब आएगी, इसका कैल्कुलेशन करने में विशेषज्ञ लगे हुए हैं। अंदेशा जताया जा रहा है कि यह लहर 8-10 महीने बाद आ सकती है। ऐसे में संभवत: चौथी लहर अगस्त-सितंबर 2022 तक दस्तक दे सकती है। बहरहाल अभी तो भारत में यह माना जा रहा है कि तीसरी लहर वैक्सीनेशन के कारण ज्यादा विकराल नहीं हो पाई। लेकिन यह तय है कि जब लहर आती है, तो तमाम सावधानियां, तैयारियां और वैक्सीनेशन का काम बौना पड़ जाता है।
अस्पताल वाले ताकते ही रह गए, तिजौरी रह गई खाली
तीसरी लहर में सबसे ज्यादा नुकसान निजी अस्पताल वालों को हुआ है। कहां वे उम्मीद लगाए बैठे थे कि कोरोना की तीसरी लहर विकराल होगी। हालांकि लहर विकराल तो हुई लेकिन मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंचे। ऐसे में दूसरी लहर में तिजौरी भरने वाले प्राइवेट अस्पताल मुंह ताकते रह गए। उनकी तैयारियां धरी की धरी रह गईं और मरीज घर में ही स्वस्थ हो गए।
दूसरी लहर का रिकार्ड तीसरी लहर में तोड़ गया कोरोना
कोरोना की तीसरी लहर ने मप्र में नए रिकार्ड बनाए। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और च्वालियर में दूसरी लहर की तुलना में ज्यादा मरीजों के मिलने का रिकॉर्ड बना। लेकिन उच्चतम स्तर तक जाने के बाद कोरोना की तीसरी लहर थम गई। जबलपुर में ही पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए सर्वाधिक 972 मरीज मिले। लेकिन इसके बाद तीसरी लहर ढलान पर आ गई।

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