Homeजबलपुरकोरोना, डेंगू हो या लंगड़ा बुखार, बीमारियों का गढ़ क्यों बन रहा...

कोरोना, डेंगू हो या लंगड़ा बुखार, बीमारियों का गढ़ क्यों बन रहा हमारा शहर..!

ब्लैक फंगस ने भी दी थी दस्तक, बीमारियां फैलने के लिए कौन है जिम्मेदार
जबलपुर। शहर में इन दिनों डेंगू का कहर है। जैसी गदर कोरोना ने मचाई थी, अमूमन वही हालत डेंगू ने कर दी है। कोरोना से कराह रहे शहर में कब डेंगू ने दस्तक दी और पूरे शहर को जकड़ लिया.. पता ही नहीं चला। अब हालत यह हैं कि हर मोहल्ले में डेंगू, मलेरिया के मरीज हैं। सरकारी अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं है, तो प्राइवेट अस्पताल भी फुल हैं। इसके साथ ही कोरोना के मरीजों के मिलने का सिलसिला भी जारी है। हालांकि ब्लैक फंगस ने जरूर राहत दी है और मौजूदा समय में इसके मरीज ज्यादा नहीं हैं। लेकिन सवाल यही है कि आखिर बीमारियों की दस्तक जबलपुर से ही क्यों होती है। प्रदेश में पहली बार कोरोना के मरीज मिले, तो वे भी जबलपुर से। ब्लैक फंगस के मरीजों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ, तो वह भी जबलपुर से। और अब डेंगू ने कोहराम मचाने के लिए भी जबलपुर को ही चुना है। आज से करीब दो-ढाई साल पहले कुछ ऐसी ही हालत लंगड़़ा बुखार ने की थी। आखिर क्या वजह है कि संस्कारधानी को ये जानलेवा बीमारियां जकड़ रही हैं।
स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेदम, किसी का किसी पर नियंत्रण नहीं
बीमारियों को काबू में न कर पाने में कुछ हद तक प्रशासनिक तंत्र भी जिम्मेवार है। स्वास्थ्य व्यवस्थाएं वैसी नहीं हैं, जैसे कि भोपाल-इंदौर में हैं। साथ ही मंत्री, बड़े अधिकारी भी इससे अनजान रहते हैं कि आखिर में शहर में चल क्या रहा है। जनप्रतिनिधियों का भी अफसरों पर नियंत्रण नहीं है। कोरोना काल में शहर की स्वास्थ्य सेवाओं की खामियां खुलकर सामने आई थीं। दूसरी लहर में सरकारी अस्पतालों से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक में मारामारी थी। कांग्रेस नेताओं व विधायकों ने जरूर अपनी आवाज बुलंद की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। स्वास्थ्य महकमे में बड़े पदों पर बैठे अधिकारी कल भी बेलगाम थे, आज भी बेलगाम हैं।
अस्पताल खुद बीमार, कैसे हो उपचार
मेडिकल कॉलेज मेंं पनप रहा लारवा…
शहर में चारों ओर डेंगू का प्रकोप फैला है, वहीं कुछ तस्वीरें ऐसी देखने में आई हैं जहां शहर के मेडिकल कॉलेज नेताजी सुभाष चंद्र बोस में लारवा अंदर और बाहर पनपता नजर आ रहा है। मेडिकल प्रशासन की जानलेवा लापरवाही सामने आई है। महाकौशल के सबसे बड़े हॉस्पिटल नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज का इतना बुरा हाल है कि सफाई व्यवस्था पूरी चरमरा गई है। सफाई ठेकेदार हैं, लेकिन उन्हें पैसों से मतलब है। ऐसे में यहां आने वाला अच्छा-भला व्यक्ति भी बीमार पड़ जाए।
राजनीतिक शून्यता की स्थिति
शहर की अफसरशाही पर किसी का कंट्रोल नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस सरकार में शहर से 2-2 कैबिनेट मंत्री थे। लेकिन भाजपा सरकार में किसी को मौका नहीं मिला। भाजपा के पिछले कार्यकाल में शरद जैन स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे हैं। उनके समय अफसरों पर थोड़ा दबाव रहता था, लेकिन अब सब लीपापोती चल रही है। ऐसे में यहां कोई ऐसा नेता या विधायक नहीं है, जो हालातों को संभाल पाए या अफसरों को कंट्रोल कर सके।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments