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सडक़ हादसों में कमी नहीं करने के मामले को कोर्ट की अवमानना बताया

जबलपुर। नागरिक उपभोक्ता मंच ने मध्य प्रदेश में होने वाले सडक़ हादसों में कमी नहीं करने के मामले को कोर्ट की अवमानना बताया है। मंच के मुताबिक पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों से साफ है कि मध्यप्रदेश में सबसे अधिक सडक़ हादसे जबलपुर में होते हैं। वहीं सबसे ज्यादा मौत के आंकड़े इंदौर में मिले हैं। प्रदेश के चारों महानगरों में हादसों में कमी न ला पाना हाईकोर्ट की अवमानना है।
2016 में दायर की थी जनहित याचिका
मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा ने बताया कि प्रमुख सचिव गृह विभाग, डीजीपी पुलिस मध्य प्रदेश व प्रमुख सचिव परिवहन विभाग को नोटिस भेजा है। हाईकोर्ट ने 2017 में सडक़ हादसों में कमी लाने के लिए एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन सडक़ हादसों पर अंकुश लगाने के लिए रोड सेफ्टी पॉलिसी को लागू नहीं किया गया। इसी कारण ये हादसे हो रहे हैं। उपभोक्ता मंच ने इसके लिए 2016 में सडक़ हादसों पर अंकुश लगाने को लेकर जनिहत याचिका लगाई थी।
जबलपुर में 3300 से अधिक हादसे, 427 मौत
मनीष शर्मा के मुताबिक सडक़ हादसों में जबलपुर नंबर वन है। यहां 2021 में 3300 से अधिक हादसे हुए हैं। वहीं 427 लोगों की मौत हुई। इंदौर में तीन हजार, भोपाल में 2300 और ग्वालियर में 1800 के लगभग हादसे हुए हैं। इंदौर में सबसे अधिक 459, भोपाल में 237 व ग्वालियर में 316 लोगों की मौत हुई है। जबलपुर में औसतन रोज नौ हादसे होते हैं। वहीं हर तीन दिन में चार लोगों की मौत होती है। मंच ने प्रमुख सचिव गृह विभाग, डीजीपी पुलिस मध्य प्रदेश व प्रमुख सचिव परिवहन विभाग को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। अन्यथा कोर्ट की अवमानना का केस दायर किया जाएगा।

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