जबलपुर। नगर निगम जबलपुर में बहुमत तो भाजपा का है, लेकिन महापौर कांग्रेस से जगत बहादुर सिंह अन्नू हैं। यही वजह है कि सदन में अध्यक्ष भी भाजपा के रिंकू विज ही हैं। इन परिस्थितियों में पक्ष-विपक्ष में टकराव होना स्वभाविक है। इसकी झलक शपथ ग्रहण समारोह में दिख चुकी है, जब कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों ने अलग-अलग शपथ ग्रहण की। अब जब सदन की बैठकें शुरू हो चुकी हैं तो कांग्रेस के महापौर कोई प्रस्ताव लाएंगे तो भाजपा विरोध करेगी। महापौर निर्णय लेंगे, तो भाजपा को आपत्ति दर्ज कराना ही है। संख्या बल भी भाजपा के पास है। यह स्थिति 1998 जैसी है, जब कांग्रेस के स्वर्गीय विश्वनाथ दुबे महापौर थे और सदन में भाजपा को बहुमत था। बहरहाल जनता तो यही चाहती है कि दोबारा वही कहानी न दोहराई जाए और अन्नू पांच वर्ष में शहर का कायाकल्प कर सकें, जो वादा उन्होंने जनता से किया था।
देखने को मिली तकरार
धारा 30 के अंतर्गत बुलाई गई बैठक में पक्ष व विपक्ष में तकरार देखने को मिली। बैठक के पूर्व ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी, लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी गई। निगम अध्यक्ष रिंकू विज व महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू की उपस्थिति में बैठक प्रारंभ की गई। बैठक में जनहित के मुद्दों पर चर्चा हुई। पार्षद कमलेश अग्रवाल ने सफाई ठेका रद्द करने पर जताया ऐतराज। सडक़, नाली, पानी, बिजली जैसे मुद्दों पर गरमागरम बहस हुई। भाजपा ने नगर सरकार को घेरा तो महापौर ने आश्वासन देते हुए कहा कि उन्होंने जो कहा है, वह करेंगा और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर शहर का विकास करेंगे।
नगर निगम में कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने.. कहीं विकास न रूठ जाए
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