- आभार सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
- छत्तीसगढ़ के सीएम ने आभार सम्मेलन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सराहना
- कुपोषण 36 प्रतिशत से घट कर 31 प्रतिशत रह गया-सीएम भूपेश बघेल
देश सहित पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार के द्वारा अलर्ट सहित सावधानी के साथ-साथ अस्पतालों की व्यवस्था पर उचित निगरानी रखना शुरू कर दिया है।साथ ही प्रशासन को भी इस संबंध में निर्देश जारी किए गए है।छत्तीसगढ़ में आभार कार्यक्रम का आयोजन किया गया,जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल रहे।
इस कार्यक्रम के माध्यम से बताया गया है कि पूरे देश में अकेला छत्तीसगढ़ है। जहां सरकार ने निर्णय लिया कि मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हाथ में कोरोना किट पहुंचाया है। जहां आठ दिन के भीतर ही कोरोना नियंत्रित होना शुरू हो गया।आभार कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में ऐसा कोई वर्ग नहीं है जिससे मैंने बात नहीं की है, आप लोगों ने साहस व धैर्य के साथ जो काम किया है उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं।
मुख्यमंत्री ने कही ये बातें
आभार कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारी बहने जहां भी मिलती थीं कहती थीं कि हमें आभार व्यक्त करने अवसर दें।आज ये मौका आया है।लेकिन मैं यहां कह दूं कि मैं आपका आभार व्यक्त करने आया हूं। जिस तरह से हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मितानिन बहनों ने मंच से अपनी बात साझा की, उसने मेरे दिल को छू लिया। मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।यूं तो आप मे से कुछ ही लोगों ने बात की, लेकिन आप सभी की यह भावनाएं हैं, ऐसा मैं जानता हूं।आप सभी जो काम करती हैं।वो मानवता की सेवा है।
मैं पूरे छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से, पौने तीन करोड़ जनता की ओर से आपका आभार व्यक्त करता हूं।लॉकडाउन में जो आपने मानवता की सेवा की, वो अभूतपूर्व है। आप लोगों को जोखिम उठाते हुए अस्पताल ले गईं। हमने कठिन परिस्थितियों में भी काम किया, पूरे देश में जब यह बीमारी फैली, हमने सबसे पहले मितानिनों के हाथों में 5 कोरोना किट दिए।उस समय मैंने आपसे भी बात की। पके साहस की मैं भूरि भूरि प्रशंसा करता हूं।छत्तीसगढ़ में जो कुपोषण से हमने लड़ाई की उससे कुपोषण 36 प्रतिशत से घट कर 31 प्रतिशत रह गया। इसमें आप सभी का बढ़ा योगदान है।
आगे कहा है कि प्रारंक्षिक शिक्षा और प्रारंभिक स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती है जिसमें आप बहनों के सहयोग की अपेक्षा होगी, जिस प्रकार से कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ी उसी प्रकार से हमने मलेरिया के खिलाफ संघर्ष किया है। छत्तीसगढ़ में कभी लिंग भेद नहीं रहा और केरल के बाद हमारा प्रदेश दूसरे स्थान पर है, यहां कभी भी बेटियों को बोझ नहीं समझा गया, आज महिलाएं घर की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में लगी हुई हैं।
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